शोध के समंदर में आ मिली कविता की सरिता
सीडीआरआई में राजभाषा अनुभाग द्वारा कवि सम्मेलन का आयोजन
लखनऊ: राजभाषा के प्रचार प्रसार के उद्देश्य से सीएसआईआर-सीडीआरआई के राजभाषा अनुभाग द्वारा आज 25 अप्रैल 2018 को एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कवि सम्मेलन में राष्ट्रीय स्तर के अनेक कवियों ने शिरकत की जिनमें डॉ सूर्य कुमार पांडे, वाहिद अली वाहिद, मुकल महान, डॉ निर्मल दर्शन, अभय सिंह निर्भीक, डॉ मानसी द्विवेदी आदि थे। कार्यक्रम का सभी वैज्ञानिकों एवं शोध छात्रों सहित सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भरपूर आनंद लिया। श्रोताओं से खचाखच भरे प्रेक्षाग्रह में कवियों ने काव्य की अनेक धाराएँ प्रवाहित कर शोधकर्ताओं को काव्य रस से सराबोर कर दिया।
चुटकी लेने के अंदाज में कविवर डॉ सूर्य कुमार पांडे ने कहा,
कितना शरीफ़ शख़्स है, पत्नी पे फ़िदा है; उस पर कमाल ये है कि अपनी पे फ़िदा है।
डॉ निर्मल दर्शन ने अपना काव्य पाठ करते हुए रोचक अंदाज में कहा,
कोई तो मेरे साथ क़दम दो क़दम चले, चाहे ख़ुशी चले कि ख़ुशी का भरम चले
इससे निजात पाऊँ न पाऊँ ये और बात, चर्चा तो मेरे ग़म की यहाँ कम से कम चले
डॉ मानसी द्विवेदी ने रिश्तों का तानाबाना बुनते हुए जीवन का गणित कुछ इस अंदाज में समझाया
आकर्षण बस मास, दिवस के वो ठहरे जो नेक रहे, मन की सांकल खुली तुम्हीं से रिश्ते भले अनेक रहे,
गुणा भाग वाले जीवन में सब सम्बन्ध दशमलव पर, मन के अंकगणित में हम तुम दो होकर भी एक रहे।
कवि मुकुल महान ने वर्तमान व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुये कहा
अपना उल्लू सीधा कर लूँ, ये मनमानी लगती है, सच पूछो तो घर घर की ये, राम कहानी लगती है ।
सुविधाओं के अम्बारों पर, बैठे हैं जो लोग यहां, उनको शबरी के बेरों में, ज़हरखुरानी लगती है ।
अभय सिंह निर्भीक ने अपनी ओजस्वी कविता के माध्यम से चेतावनी देते हुये कहा
जिस दिन सेना आत्मसुरक्षा में बन्दूक उठाएगी
काश्मीर में पत्थरबाजी मिनटों में रुक जाएगी
कवि वाहिद अली वाहिद ने समाज में फ़ेल रही वैमनस्यता पर चिंता प्रकट करते हुए कहा
आसमान का एक सितारा, तू भी है तो मैं भी हूँ, लफज़ो का जलता अंगारा, तू भी है तो मैं भी हूँ,
हूण नहीं,मंगोल नहीं हूँ, मैं कान्हा का साथी हूँ, भारत माँ का राजदुलारा तू भी है तो मैं भी हूँ।
श्री राजेन्द्र पंडित ने मंहगाई पर तंज़ कसते हुए चंद पंक्तियाँ प्रस्तुत कीं
पेट्रोल महंगा हो गया थोड़ा खरीदिय, बेहतर विकल्प है अगर घोड़ा खरीदिये
ट्रैवलिंग के साथ राइडिंग का लुत्फ लीजिये, और चार किलो लीद रोज मुफ्त लीजिये
कवि सम्मेलन का संचालन संस्थान में ही कार्यरत व्यंग्यकार पंकज प्रसून अपनी चुटकियों के माध्यम से कर रहे थे। गड्ढामुक्त सड़कों पर व्यंग्य करते हुए उन्होने भी कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत की।
इतने उत्साहित हैं नेता जाने क्या कर जाएंगे, इतना प्यार करो न हमसे जीते जी मर जाएंगे
मैने पूछा आखिर कब तक गड्ढामुक्त बनेंगा यूपी, वह बोले बारिश आने दो सब गड्ढे भर जाएंगे।
कार्यक्रम के अंत में सभी कवियों को मुख्य वैज्ञानिक डॉ ए के सिन्हा ने स्मृतिचिन्ह देकर सम्मानित किया गया। हिन्दी अधिकारी श्रीमति नीलम श्रीवास्तव ने संस्थान में राजभाषा हिन्दी में अभिव्यक्ति के इतने रोचक प्रस्तुत्तिकरण के माध्यम से सभी शोधकर्ताओं को प्रेरित करने के लिए धन्यवाद दिया गया।