लखनऊ: उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने आज क्लोन चेक से बैंक खातों से धन निकासी करने वाले चार जालसाजों को गिरफ्तार किया। इनके कब्जे से वैगन आर कार, लैपटाप, प्रिंटर, मोबाइल और कई बैंकों की चेक बुक के अलावा दो करोड़ रुपये के क्लोन चेक बरामद किए गए है। एसटीएफ के एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि इस गैंग का मास्टर माइंड गगन सहगल हरियाणा के पंचकूला का निवासी है। एसटीएफ के एएसपी त्रिवेणी सिंह की टीम ने गगन सहगल के साथ ही दिल्ली के गांधी बिहार निवासी धर्मेश कुमार, शाहदरा के आशीष सूद और अलीगढ़ के टप्पल इलाके के मालव निवासी बाबी चौधरी को गिरफ्तार कर लिया। राजफाश करने में लगे एसएसपी त्रिवेणी सिंह को पता चला कि 25 अप्रैल को एक्सिस बैंक के शाखा प्रबंधक रवि कुमार तिवारी ने गौतमबुद्धनगर के कासना थाने में हेराफेरी का मुकदमा दर्ज कराया है। क्लोन चेक के जरिए जालसाजों ने आठ लाख रुपये निकाले थे। एसटीएफ ने इस पर राहुल कुमार सिंह और विक्रम प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया। छानबीन आगे बढ़ी तो मास्टर माइंड गगन सहगल का नाम सामने आया। त्रिवेणी सिंह के मुताबिक चारों आरोपियों के शाहदरा इलाके में होने की जानकारी मिलने पर एसटीएफ टीम ने सक्रियता दिखाते हुए उन्हें दबोच लिया।
एसटीएफ ने चार लोगों को गिरफ्तार कर चेक का क्लोन तैयार कर फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। उनके पास से दो करोड़ रुपये के बीस क्लोन चेक बरामद हुए हैं। साथ ही लैपटाप, मोबाइल, विभिन्न बैंकों की चेक बुक व चार हजार रुपये नकद बरामद किए गए हैं। गिरोह द्वारा क्लोन चेक के माध्यम से करोड़ों की ठगी की जा चुकी है। अपर पुलिस अधीक्षक एसटीएफ त्रिवेणी सिंह ने सिंह को गिरफ्तार किया था। दोनों से मिली सूचना के बाद 24 मई को एसटीएफ ने गैंग के मास्टर माइंड डा. गगन सहगल व आशीष सूद को गिरफ्तार किया। त्रिवेणीसिंह ने बताया कि गिरफ्तार अभियुक्तों से पूछताछ के बाद पता चला कि वे बैंक के कॉल सेंटर से खाते की जानकारी प्राप्त करते थे। इसके बाद उसी बैंक की किसी शाखा में नया खाता खुलवाते थे। बैंक से प्राप्त चेक बुक से खाताधारक का नाम, अकाउंट नंबर आदि केमिकल लगाकर मिटा दिया जाता था। इसके बाद ङ्क्षप्रटर की सहायता से दूसरे के एकाउंट का क्लोन चेक तैयार किया जाता था। उस पर खाता धारक का फर्जी हस्ताक्षर कर चेक को किसी भी बैंक में प्रस्तुत कर धनराशि अपने खाते में स्थानांतरित करा लेते थे। बाद में पैसा निकालकर आपस में बांट लेते थे। गिरोह के सदस्य देश के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय थे।
ग्रेटर नोएडा के अल्फा सेक्टर स्थित इंडसइंड बैंक के कर्मचारियों की मिलीभगत से एक महिला के खाते से एक माह पहले दो बार में 16 लाख 90 हजार रुपये निकाल लिए गए। महिला तभी से बैंक के चक्कर काट रही है। थक हारकर उसने तहरीर कासना कोतवाली पुलिस को दी है। गामा दो सेक्टर स्थित किंग रिजर्व सोसायटी निवासी दमयंती गेरा का इंडसइंड बैंक में खाता है। उनके खाते में करीब 17 लाख रुपये थे। खाते से धनराशि निकालने वालों ने बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से दमयंती गेरा के खाते में दर्ज मोबाइल नंबर बदल दिया, ताकि धनराशि निकाले जाने की सूचना एसएमएस से उनके पास न जाए। महिला के घर का पता भी बदल दिया। नियमानुसार बिना खाताधारक की अनुमति के ऐसा नहीं किया जा सकता। नए पते पर नई चेकबुक भी जारी करा ली गई। 20 अप्रैल को आठ लाख और अगले रोज आठ लाख 90 हजार रुपये सेल्फ के रूप में निकाले गए। साइबर क्राइम के विशेषज्ञ लखनऊ एसटीएफ के एसपी डा. त्रिवेणी सिंह का कहना है कि मामले में स्पष्ट रूप से बैंक की गलती है। खाताधारक की बिना अनुमति के घर का पता और मोबाइल नंबर नहीं बदला जा सकता।
पूछताछ में गगन और आशीष ने बताया कि वह अपने साथी बाबी चौधरी के साथ एचडीएफसी, एक्सिस, पीएनबी, सेंट्रल बैंक आफ इंडिया समेत कई बैंकों में जाकर वहां खाताधारकों द्वारा रुपये निकालते समय उनके चेक की फोटो ले लेते और उन फोटो के जरिए नया क्लोन चेक बना लेते थे। क्लोन चेक तैयार करने में ये जालसाज कोरल ड्रा साफ्टवेयर का उपयोग करते थे। इसके बाद फर्जी हस्ताक्षर के जरिए हेराफेरी की भूमिका तैयार करते थे। जालसाजों ने यह भी बताया कि उनके लैपटाप में खींची गयी खाता धारकों के चेक की फोटो उपलब्ध है। ये लखनऊ, इलाहाबाद, कानपुर, उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों, हिमांचल, दिल्ली, कोलकाता, राजस्थान और महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में खींची गयी है। अन्य प्रदेश के बैंक खातों में की गयी धोखाधड़ी एवं इस गिरोह के विभिन्न प्रदेशों में सक्रिय अन्य सदस्यों के संबंध में छानबीन की जा रही है।