कॉर्पोरेट हॉउसों से 330 करोड़ रुपये लेकर अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति बनवाएंगे योगी
लखनऊ: यूपी सरकार ने पेशकश की है कि कॉर्पोरेट हाउस अपने सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी फंड से अयोध्या में 330 करोड़ की कीमत वाली भगवान राम की 100 मीटर ऊंची मूर्ति लगवा दें. यही नहीं, सरकार धार्मिक पर्यटन स्थलों पर 2725 करोड़ के दूसरे विकास के काम भी इसी फंड से कराना चाहती है.
अयोध्या में भगवान राम को लेकर सियासत चाहे जितनी हुई हो…लेकिन अयोध्या का विकास नहीं हुआ…अब सरकार चाहती है कि कॉर्पोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी फंड से करीब 750 करोड़ अयोध्या पर खर्च हों जिसमें 330 करोड़ से सरयू तट पर भगवान राम की मूर्ति लगे. इस पर लोगों की राय बंटी हुई है.
अयोध्या के साधु जयशंकर चौरसिया कहते हैं कि “जिसकी वजह से रोज़गार बढ़े…चिकनी मिट्टी की मूर्तियां तैयार कराइए, प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां तैयार कराइए..इतनी बड़ी विशाल मूर्ति जो बनवा रहे हैं उसका फायदा क्या होगा?
साध्वी अमृता तिवारी ने कहा कि रोजगार जितना आवश्यक है, उतना धार्मिक स्थल भी आवश्यक है..क्योंकि धर्म के साथ ही सब कुछ विकसित होता है. अध्यात्म अगर छोड़ दिया जाए तो सिर्फ़ रक्षसी प्रवृत्ति बचती है. जितना आवश्यक हॉस्पिटल है, जितना आवश्यक रोज़गार है, जितनी आवश्यक और मूलभूत आवश्यकताएं हैं, उतना ही आवश्यक धर्म भी है.
पर्यटन विभाग ने हाल ही में एक बुकलेट छापी है जिसमें अयोध्या, काशी, मथुरा, गोरखपुर, चित्रकूट वगैरह के 86 पर्यटन स्थलों के विकास के लिए 2725 करोड़ की योजनाओं का ज़िक्र है. सरकार चाहती है कि औद्योगिक घराने सीएसआर फंड से इन्हें पूरा करने में मदद दें. इसमें अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति के लिए 330 करोड़, नव्या अयोध्या योजना पर 350 करोड़, गोरखनाथ मंदिर पर 45 करोड़, वाराणसी की पांच कोसी परिक्रमा पर 100 करोड़, संगम पर रोपवे के लिए 75 करोड़, मथुरा परिक्रमा मार्ग पर 200 करोड़ का प्रस्ताव है. विपक्ष इस पर हमलावर है.
समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह का कहना है कि आखिरकार व्यापारिक घराने सीएसआर के तहत टैक्स में छूट पाते हैं. इस तरह इन मूर्तियों का पैसा आम आदमी दे रहा है. आप इतनी बड़ी पार्टी हैं. आप सीधे योगी जी से पैसा क्यों नहीं लेते. मेरी समझ से सीएसआर फंड इस मक़सद से खर्च नहीं किया जा सकता. लेकिन योगी जी सामाजिक ज़िम्मेदारी की रोज़ नई परिभाषा बताते हैं. पहले स्कूलों, महिलाओं और बच्चों के विकास पर खर्च होते थे.
हालांकि सरकार कहती है कि यह तुलना जायज़ नहीं है. यूपी सरकार की पर्यटन मंत्री रीता जोशी से जब पूछा गया कि आप उन आलोचनाओं पर क्या कहेंगी कि कॉर्पोरेट फंड भगवान राम की मूर्ति के बजाए अस्पताल बनाने में क्यों नहीं खर्च हो सकता? उन्होंने कहा कि वो भी संभव है. सीएसआर फंड बहुत सीमित नहीं है. हम तो निजी क्षेत्र से अपील ही कर सकते हैं. हम उन्हें मजबूर नहीं कर सकते. आप इसको समझिए. यह धार्मिक पर्यटन नहीं है. इसे ऐसे लीजिए कि यह रोज़गार पैदा करने की कोशिश है. हमें एक औद्योगिक घराना बताइए जो मंदिर में पैसा नहीं लगता हो? सारे नेता मंदिर जाते हैं. एक बताइए जो नहीं जाता हो?