रिपोर्ट-अमन

सुलतानपुर – दलित महिला को शादी का झांसा देकर दुष्कर्म के मामले में
स्पेशल कोर्ट के आदेश को न मानना लचर विवेचक व पैरोकार को महंगा पड़ा है।
विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट उत्कर्ष चतुर्वेदी की अदालत ने मामले के
विवेचक क्षेत्राधिकारी मुसाफिरखाना व कमरौली पैरोकार के खिलाफ प्रकीर्ण
फौजदारी मुकदमा दर्ज कर आगामी 19 मार्च के लिए तलब किया है। मामला
कमरौली थाना क्षेत्र से जुड़ा है। जहां पर हुई घटना का जिक्र करते हुए
दलित महिला ने आरोपी संतोष निवासी रामसिंह का पुरवा मजरे मिर्जागढ, थाना
मोहनगंज-अमेठी के खिलाफ आरोप लगाया है कि संतोष ने उसे शादी का झांसा
देकर अपने कमरे पर रोक लिया और उसके साथ शारीरिक सम्बंध भी बनाया। आरोप
है कि वह बाहर काम पर जाते समय दरवाजे को बाहर से बंद कर देता था। कई
दिनो तक उसका शोषण करने के बाद आरोपी ने पीड़िता को भगा दिया और दोबारा
आने पर जलाकर मार डालने की धमकी भी दी। इस सम्बंध में कमरौली थाने में
कोर्ट के आदेश के बाद मुकदमा दर्ज हुआ, जिसकी तफ्तीश क्षेत्राधिकारी
मुसाफिरखाना को मिली है। मामले में लचर विवेचना का आरोप लगाते हुए पीड़िता
ने स्पेशल जज एससी-एसटी एक्ट की अदालत में मानिटरिंग अर्जी दी है। जिस पर
सुनवाई के पश्चात अदालत ने बीते 23 अक्टूबर को ही केस डायरी के साथ सीओ
को तलब करने का आदेश जारी किया था। जिसके बाद से लगभग आधा दर्जन पेशियों
पर रिमाइंडर जारी कर सीओ को सीडी के साथ तलब किया गया, लेकिन कई पेशियों
के बावजूद भी सीओ ने अदालत आना मुनासिब ही नहीं समझा। सीओ की इस
कार्यशैली पर कोर्ट ने अवमानना के कार्यवाही की चेतावनी भी दी थी। बावजूद
इसके सीओ हाजिर नहीं आए। मामले में कमरौली थाने के पैरोकार के जरिए सीओ
के कहे अनुसार बार-बार हाजिर होने के लिए समय की मांग भी की जाती रही। कई
बार कोर्ट ने समय भी दिया, लेकिन उनका हाल जस का तस ही रहा। जिस पर कड़ा
रूख अपनाते हुए स्पेशल जज उत्कर्ष चतुर्वेदी ने क्षेत्राधिकारी
मुसाफिरखाना व पैरोकार के खिलाफ प्रकीर्ण क्रिमिनल केस दर्ज कर तलब किया
है। मामले में सुनवाई के लिए आगामी 19 मार्च की तिथि तय की गयी है।