त्रिपुरा में हिंसा के खिलाफ वामदलों ने किया प्रदर्शन
लखनऊ: वामपंथी दलों ने त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव के बाद भाजपाइयों
व आईपीएफटी द्वारा की जा रही हिंसक तथा लोकतंत्र विरोधी कार्यवाहियों का तीव्र
विरोध करते हुए वामदलों ने आज विधानसभा के सामने प्रदर्शन किया व प्रतिरोध सभा
की। प्रदर्शन माकपा कार्यलय, 10 विधान सभा मार्ग से शुरू होकर जी पी ओ स्थित
गांधी प्रतिमा तक गया ।
प्रदर्शन का नेतृत्व सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य का0 सुभाषिनी अली, केन्द्रीय
कमेटी सदस्य का0 जे0एस0 मजूमदार, राज्य सचिव का0 हीरालाल यादव, सीपीआई (एमएल)
नेता रमेश सिंह सेंगर, सीपीआई के का0 आशा मिश्रा, मो0 खालिक ने किया।
इस मौके पर हुई सभा को सम्बोधित करते हुए का0 सुभाषिनी अली ने कहा कि त्रिपुरा
वापिस लड़ेगा और भरपूर जवाब देगा। संघर्ष की विरासत पर हम सत्त्ता में आये थे
और हमने भरसक मजदूर वर्ग के हित में काम किया। त्रिपुरा में कुछ वोट हमे कम
मिल गया है, हम चुनाव हार गए हैं लेकिन इसका मतलब कतई नही कि हम नष्ट हो गए।
हम चुनाव की हार स्वीकार करते है लेकिन लोकतंन्त्र और युद्ध में हमेशा सही
जीते, हमेशा सत्य की जीत हो यह आवश्यक नही। मुसोलिनी ने 1924 का इटली का आम
चुनाव 64 परसेंट वोट पाकर जीता था , क्या वो सत्य और सही की जीत थी ?? हिटलर
ने जर्मनी का फेडरल चुनाव 44 प्रतिशत वोट के साथ 1933 में जीता था तो क्या वो
सत्य और सही की जीत थी। इतिहास हमे बताता है कि की सही और सत्य को भी हार का
सामना करना पड़ा था , और आज भी करना पड़ सकता है । गलत राजनीति की जीत हो सकती
है , लेकिन इतिहास गवाह है कि अंतिम विजय सत्य और सही ही कि होती है। मुसोलिनी
और हिटलर का अंत किसको याद नही । हम कम्युनिस्ट है , गलतियों से सीखते हैं,
सुधारते है और जनता की लड़ाई को आगे बढ़ाते है । चुनाव हार से कम्युनिस्ट विचलित
नही होते और हमारे संघर्ष रूकते हैं। हाँ, त्रिपुरा क्रांतिकारी धरती है, सबक
लेकर हम वापिस आएंगे। हमारा लाल झंडा संघर्ष और बलिदान का प्रतीक है , हमने
उसको तह करके अगले चुनाव तक के लिए नही रख दिया है, वो आम जनता के संघर्ष में
उसी सुर्खी से फहराएगा जैसा फहराता आया है।
सभा को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि चुनावी जीत के बाद त्रिपुरा की
हिंसक घटनाओं में भाजपा का असली रूप सामने आ गया है। जिस तरह से सीपीएम
कार्यालयों तथा समर्थकों के घरों में तोड़फोड़ व आगजनी की जा रही है, कार्यालयों
पर कब्जे किये जा रहे हैं, मेहनतकशों के महान नेता लेनिन तथा ज्योति बसु की
मूर्तियां तोड़ी गयीं, उससे स्पष्ट हो गया है कि भाजपा फासीवादी मनोवृत्ति वाली
पार्टी है और वह हिंसा, दमन और आतंक के जरिये अपने विरोध को समाप्त करना चाहती
है। वक्ताओं ने स्पष्ट शब्दों में इन कायराना हमलों की तीखी हमलों की आलोचना
की । उन्होंने कहा कि सवाल लेनिन ,गांधी , भगत सिंह , आंबेडकर के मूर्तियां
तोड़े जाने का नहीं है और न ही सवाल चुनाव हार जाने का है। पूरी दुनिया में
संघर्ष आम जनता के लिए प्रगतिशील विचारधारा जिसका प्रतिनिधित्व मार्क्स,
लेनिन, आंबेडकर, गाँधी और भगत सिंह करते है, और हिटलर मुससोलिनी, सावरकर,
गोडसे को मानने वाले नफरत के पुजारियों से है। नफरत की राजनीति लोकतंत्र की
हत्या कर सत्ता के नशे में चूर है और जो भूल गए हैं के मूर्ति तोड़ने से विचार
नहीं मरा करते। वामपंथ तुम्हारे खिलाफ लड़ता रहा है और हमारे कार्यकर्ताओं
दफ्तरों पर हमला करके तुम हमें संघर्ष और शाहदत की विरासत से नहीं डिगा सकते
हो ।
प्रदर्शन में मुख्य रूप से किसान सभा के नेता का0 मुकुट सिंह, का0 दीनानाथ
सिंह यादव, मजदूर नेता का0 प्रेमनाथ राय, जनवादी महिला समिति की प्रदेश
अध्यक्ष मधु गर्ग, सीमा राना, खेत मजदूर यूनियन के नेता का0 बी0एल0 भारती,
नौजवान सभा के नेता का0 राधेश्याम, अखिल विकल्प, लखनऊ पार्टी सचिव का0 प्रदीप
शर्मा के अलावा वामदलों के सैकड़ों कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी, साहित्यकार, छात्र
शामिल थे।