लखनऊ: आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पूर्व सदस्य मौलाना सलमान नदवी ने मानवता कल्याण बोर्ड की नींव रख दी है. गुरुवार को लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस कर उन्होंने बताया कि आज तक ऐसा कोई बोर्ड नहीं बना, जिसमें हर धर्म के लोग हों. सलमान नदवी ने कहा कि देश की आजादी से अब तक 25000 से ज्यादा दंगे हुए. मुज़फ्फरनगर के दंगे में लोगों को बुरी तरह मारा गया. लोगों को मानवता का सबक देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि मानवता कल्याण बोर्ड में पूर्व मुख्य न्यायमूर्ति को अध्यक्ष बनाया जएगा. इसमें हर धर्म के लोगों को बोर्ड में ज़िम्मेदारी दी जाएगी.

उन्होंने कहा कि बोर्ड में स्वास्थ्य, महिला मामले, बच्चों से जुड़े मामलों और न्यायिक कमेटी बनाई जाएगी. उन्होंने इस्लामिक यूनिवर्सिटी बनाए जाने की वकालत करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी में हिंदी, उर्दू, समेत हर भाषा को पढ़ाया जाएगा. सलमान नदवी ने कहा कि अयोध्या में मस्जिद बने लेकिन ज़रूरी नहीं बाबर के नाम से हो. नौजवानों को मज़हब की जानकारी होना बहुत ज़रूरी है.

कश्मीर, श्रीनगर, लद्दाख, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान समेत देश के हर प्रदेश में लोग इस बोर्ड से जुड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि यूपी में अब्दुल्लाह तारिक़, मौलाना इनाम, तौकीर रजा, खलीक बोर्ड में जुड़े हैं. हमारे बोर्ड का आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से कोई मतलब नहीं है. पर्सनल लॉ बोर्ड सिर्फ मियां ​बीवी के मसले देखता है. पारिवारिक और मजहबी मामले देखता है.

सलमान नदवी ने कहा कि श्रीश्री रविशंकर को भी वह बोर्ड में जोड़ने की कोशिशें कर रहे हैं. अयोध्या के तमाम संतो को भी बोर्ड में लाने की कोशिशें हैं. सीरिया जैसे हालात वाले रविशंकर के बयान पर नदवी ने कहा कि श्रीश्री रविशंकर ने धमकी नहीं दी. मेरी उनसे बात हुई. हमारा रविशंकर से अलगाव नहीं है, रास्ते अभी हमारे एक हैं. उन्होंने कहा कि अयोध्या विवाद से वापस लौटने के लिए कोई दबाव नहीं था. रविशंकर जी की बात कोई सुन नहीं रहा था. अयोध्या में उनके लिए कोई तैयार नहीं हो रहा था इसलिए मुद्दे से मैंने वापस लौटने का फैसला लिया.

इसके साथ ही सलमान नदवी ने कहा कि वह आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में शर्तों के साथ वापस लौटने को तैयार हैं. उनकी शर्त ये है कि बोर्ड यूसुफ मचाला, असदुद्दीन ओवैसी, कमाल फारूकी को बोर्ड से बाहर निकाले.