नई दिल्ली: ‘मेक इन इंडिया’ का नारा देने वाली मोदी सरकार को रक्षा क्षेत्र में एफडीआई के मामले में नाकामी हाथ लगी है। जानकारी के अनुसार, देश में पिछले 4 सालों के दौरान रक्षा क्षेत्र में सिर्फ 1.17 करोड़ रुपए का ही विदेशी निवेश आ सका है। ये हालात तब हैं जब सरकार ने रक्षा क्षेत्र में एफडीआई के लिए नियमों को उदार बनाया था और फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड को भी खत्म कर दिया था। रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे ने बुधवार को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि अप्रैल 2014 से दिसम्बर 2017 तक रक्षा क्षेत्र में 0.18 मिलियन डॉलर का विदेशी निवेश आया है।

अभी भी भारत हथियारों का सबसे बड़ा खरीददार: गौरतलब है कि इस दौरान भारत सरकार ने 1.25 लाख करोड़ की रक्षा खरीद के 70 सौदों को हरी झंडी दी है। इन रक्षा सौदों में इजरायल से रडार और मिसाइल, अमेरिका से एयरक्राफ्ट, आर्टिलरी गन्स, फ्रांस से हथियार, फाइटर जेट्स और रुस से रॉकेट आदि के सौदे शामिल हैं। सरकार ने पिछले 4 सालों में विदेशी निवेश के 18 मामलों को अपनी मंजूरी दी है, लेकिन ये नाकाफी है। भारत अभी भी रक्षा औद्योगिक उत्पादन में काफी पिछड़ा हुआ है। दूसरी तरफ, भारत रक्षा खरीद के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा आयातक बना हुआ है। खास बात ये है कि भारत के हथियारों के लिए 60 प्रतिशत हार्डवेयर आज भी विदेशों से ही मंगाए जाते हैं।