16 बैंकों का 3972 करोड़ लोन लेकर लक्ष्मी कॉटसन हो गयी डिफाल्टर
कानपूर: कानपुर में ही एक बार फिर रोटोमैक के विक्रम कोठारी से भी बड़ा घोटाला सामने आया है. डॉ एमपी अग्रवाल की कम्पनी श्री लक्ष्मी कॉटसन लिमिटेड ने 16 बैंकों से 3972 करोड़ लोन लिया था और अब ये कंपनी डिफाल्टर हो गई है.

बता दें कि अग्रवाल की कंपनी 'श्री लक्ष्मी कॉटसन' टेक्सटाइल और डिफेंस मैटेरियल बनाती है. सूत्रों के मुताबिक कंपनी पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के 3904 करोड़ और यूको बैंक के 65 करोड़ जबकि आईएफसीएल के 5 करोड़ बकाया बताए जा रहे हैं. कंपनी की चार फक्ट्रियां मलवां, औंग, अभयपुर और रेवाड़ी बुजुर्ग में है. रजिस्टर्ड ऑफिस कृष्णापुर में है.

दरअसल लक्ष्मी कॉटसन पर 16 बैंकों के अरबों रुपए एनपीए के रूपमे फंस गए हैं. जिसके बाद कर्ज देने वाले कंसोर्टियम की तरफ से सेंट्रल बैंक ने अरबों की वसूली के लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी है. कहा जा रहा है बैंक डिफ़ॉल्ट के मामले में यह मामला विक्रम कोठारी से भी बड़ा है. कोठारी पर 3695 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी का आरोप है. यह आंकड़ा खुद श्री लक्ष्मी की 31 मार्च 2017 की बैलेंस शीट बता रही है.

कंपनी टेक्सटाइल के 20 उत्पादों के अलावा वाहनों ब्लास्ट प्रूफ भी बनाती है. 4 साल पहले कंपनी घटे में जाने लगी. बाद में आर्थिक्क मंदी के चलते कंपनी पर बोझ बढ़ता चला गया.धीरे-धीरे कंपनी का एक्यूमिलेटेड लॉस बढ़कर पूंजी का कई गुना हो गया. यही वजह रही कि कंपनी के दुबारा उठने की संभावना ख़त्म हो गई. कंपनी का मौजूदा घटा 1646.12 करोड़ रुपये है. दीर्घ अवधी का लोन 2406 करोड़ रुपये है जबकि शार्ट टर्म लोन 937 करोड़ रुपये है.

अगर बैलेंस शीट की बात करें तो इतने बड़े लोन की रिकवरी के लिए कंपनी की कुल एसेट्स मात्र 1495 करोड़ रुपये ही है. बैलेंस शीट के मुताबिक कंपनी के पास बैंकों में कुल 2.54 करोड़ रुपये ही जमा हैं, जबकि इसे चलाने के लिए 577 करोड़ रुपये है और कुला आय मात्र 311 करोड़ रुपये है. साफ़ है कंपनी की हालत ख़राब है.

दरअसल कंपनी को दिया गया लोन किस मद में खर्च हो रहा है, इसकी निगरानी करना बैंकों की जिम्मेदारी है. लेकिन अधिकारी आंख मूंदकर लोन देते रहे और जनता का पैसा डूबता रहा. इस मामले में भी बैंक अधिकारीयों की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है.

श्री लक्ष्मी कॉटसन को लोन देने वाली बैंकों का सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया कंसोर्टियम का लीड बैंक है. इस कंसोर्टियम में सिंडिकेट बैंक, यूनियन बैंक, केनेरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन बैंक, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, एक्जिम बैंक, ओरिएण्टल बैंक ऑफ़ कॉमर्स, आईडीबीआई बैंक, विजया बैंक, कारपोरेशन बैंक, सारस्वत बैंक और आंध्र बैंक शामिल हैं.