फिर बन सकती है PK-MODI की जोड़ी
नई दिल्ली: 2012 गुजरात चुनावों और 2014 लोकसभा चुनावों में बीजेपी के चुनावी अभियान की सफलतापूर्वक जिम्मेदारी संभालने वाले रणनीतिकार प्रशांत किशोर (40) एक बार फिर बीजेपी के साथ अगले चुनाव में जुड़ सकते हैं. 2014 लोकसभा चुनावों में बीजेपी की प्रचंड जीत में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की अहम भूमिका मानी जाती है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक हाल में पीएम नरेंद्र मोदी और प्रशांत किशोर की मुलाकात के बाद इन कयासों को बल मिला है कि वह 2019 लोकसभा चुनावों के लिए फिर से बीजेपी के साथ जुड़ सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक यह भी कहा जा रहा है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से भी प्रशांत किशोर की मुलाकात हुई है. हालांकि यह भी कहा जाता है कि पिछले लोकसभा चुनावों के बाद अमित शाह के साथ मनमुटाव के चलते प्रशांत किशोर ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया था.
प्रशांत किशोर 2012 गुजरात चुनावों के दौरान बीजेपी के प्रचार अभियान से जुड़े थे लेकिन 2014 के चुनावों के बाद उन्होंने बीजेपी का दामन छोड़ दिया था. 2015 में बिहार चुनावों के दौरान राजद-जदयू-कांग्रेस महागठबंधन के वह प्रमुख चुनावी रणनीतिकार थे. बिहार में बीजेपी को शिकस्त का सामना करना पड़ा और महागठबंधन की जीत में प्रशांत किशोर की चुनावी रणनीति को बेहद अहम माना गया. उसके बाद 2017 में यूपी चुनावों से ऐन पहले सपा और कांग्रेस के गठबंधन में उनकी अहम भूमिका मानी गई. हालांकि यह गठबंधन चुनावी लिहाज से बहुत कामयाब नहीं हुआ और बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ यूपी में सत्ता में आई. इसके साथ ही पंजाब चुनावों में भी उन्होंने कांग्रेस के लिए काम किया. यूपी और पंजाब चुनावों में वह कांग्रेस के प्रमुख रणनीतिकार थे. उनको राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का करीबी भी माना जाता है. ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि इन कारणों से धुर विरोधी बीजेपी कैंप में जाने के बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. ऐसा इसलिए भी क्योंकि प्रशांत किशोर विभिन्न दलों के प्रमुख नेताओं के साथ मिलते रहते हैं. बिहार में नीतीश कुमार का भी उनको करीबी माना जाता रहा है और महागठबंधन सरकार में उनको कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त था.
हालांकि बिहार में महागठबंधन में बिखराव होने और नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के बाद प्रशांत किशोर को नुकसान हुआ. जेडीयू-बीजेपी की एनडीए सरकार बनते ही प्रशांत किशोर से कैबिनेट रैंक के मंत्री का दर्जा छिन गया.
विभिन्न दलों के साथ जुड़ने के क्रम में प्रशांत किशोर ने पहली बार दक्षिण की सियासत में अपना हाथ आजमाया. पिछली जुलाई में वह आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस के साथ जुड़े. इस पार्टी के नेता जगनमोहन रेड्डी हैं और इस वक्त आंध्र प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष हैं. उस दौरान जगनमोहन रेड्डी ने जब अपनी पार्टी नेताओं के साथ मुलाकात की तो उसमें प्रशांत किशोर ने भी हिस्सा लिया. वाईएसआर से बतौर सलाहकार वह जुड़े हैं. इसी कड़ी में पार्टी नेताओं के साथ उनकी मुलाकात कराई गई.
गौरतलब है कि एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी तेलुगु देसम केंद्र में एनडीए के साथ है. हालांकि इस वक्त आंध्र प्रदेश को आर्थिक पैकेज नहीं देने के कारण बीजेपी और तेलुगु देसम के रिश्तों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है.