नई दिल्ली: रिलायंस-धिरूभाई अंबानी ग्रुप के प्रमुख अनिल अंबानी ने आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और राज्‍यसभा सदस्‍य संजय सिंह को 5,000 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेजा है। आप नेता ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि वह अपनी बात पर कायम हैं। संजय सिंह ने ट्वीट किया, ‘उद्योगपतियों की दबंगई चरम पर है। पहले घोटाला करेंगे और फिर उसके खिलाफ आवाज उठाने वालों पर मानहानि का दावा ठोकेंगे। राफेल रक्षा सौदे का घोटाला उजागर करने पर अंबानी (अनिल) ने मेरे ऊपर देश का सबसे बड़ा 5,000 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेजा है। मैं अपनी बात पर कायम हूं। बंदर घुड़की नहीं चलेगी।’ अनिल अंबानी ने राफेल डील पर संजय सिंह द्वारा खुद को बदनाम करने का आरोप लगाया है। ‘आज तक’ की रिपोर्ट के अनुसार, अनिल अंबानी द्वारा भेजे गए नोटिस के जवाब में संजय सिंह राफेल डील के मामले में उद्योगपति और अन्‍य अरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी में हैं। अंबानी ने कहा कि संजय सिंह के आरोपों से उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है।

राज्‍यसभा सदस्‍य संजय सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था क‍ि 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए 59,000 करोड़ रुपये की डील हुई है। आप नेता ने 13 फरवरी को कहा था, ‘यह सर्वज्ञात है कि वर्ष 2012 में यूपीए सरकार 500 करोड़ रुपये प्रति जेट के हिसाब से राफेल विमान खरीदने का करार करने वाली थी। इसमें टेक्‍नोलॉजी ट्रांसफर की बात भी शामिल थी। उस वक्‍त यह सुनिश्चित किया गया था कि सार्वजनिक क्षेत्र की हिन्‍दुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड के साथ तकनीक साझा की जाएगी। मोदी सरकार ने 59,000 करोड़ रुपये की लागत से 36 लड़ाकू विमान खरीदने का समझौता किया। इस लिहाज से एक विमान की कीमत 1,640 करोड़ रुपये होती है। मैं यह समझ नहीं पाया कि विमान में ऐसी कौन सी तकनीक जोड़ दी गई क‍ि विमान की कीमत में 300 फीसद तक बढ़ गई।’ संजय सिंह ने आरोप लगाया था कि अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को विमान का कल-पुर्जा बनाने के लिए 22,000 हजार करोड़ रुपये मूल्‍य का ठेका दिया गया। उन्‍होंने दावा किया था कि कंपनी को इस क्षेत्र में एक साल से भी कम का अनुभव है। आप नेता ने कहा था, ‘इन सभी बातों से यह साबित होता है कि यह डील घोटालों का करार है। यह सरकार की ताबूत में आखिरी कील साबित होगी।’ बता दें कि राफेल डील पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी मोदी सरकार पर हमलावर है। पार्टी अध्‍यक्ष राहुल गांधी कई मौकों पर इस मामले को उठा चुके हैं। उन्‍होंने करार का ब्‍यौरा सार्वजनिक करने की भी मांग की है।