मांस व्यापार के लाइसेंस का पंचायतों का अधिकार छीनना अलोकतांत्रिक: दारापुरी
लखनऊ: योगी सरकार लोकतांत्रिक संस्थाओं पर लगातार हमले कर रही है जिसका एक उदाहरण कैबिनेट द्वारा पंचायती राज कानून की धारा 197 में परिवर्तन कर पंचायतों से मांस व्यापार का लाइसेंस देने का अधिकार समाप्त करने का निर्णय है। सरकार द्वारा अपनाई गयी प्रक्रिया पूर्णतया असंवैधानिक है क्योंकि इसमें पंचायतों के संवैधानिक अधिकार को केवल शासनादेश द्वारा समाप्त किया गया है जो कि पंचायती राज एक्ट में संशोधन के बिना करना अवैधानिक है. यह निर्णय अलोकतांत्रिक है और मांस व्यापार में लगी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों और देशी बड़े पूंजी घरानों के लाभ के लिए लिया गया है। सरकार के इस फैसले से लाखों की संख्या में मांस व्यापार में लगे छोटे मझोले व्यापारी बर्बाद और बेरोजगार हो जायेगें। इसलिए प्रदेश के संवैधनिक मुखिया होने के नाते महामहिम राज्यपाल को योगी सरकार के कैबिनेट के इस फैसले पर तत्काल प्रभाव से रोक लगानी चाहिए। यह मांग आज राज्यपाल को भेजे अपने पत्र में स्वराज अभियान की राज्य कार्यसमिति के सदस्य एस.आर. दारापुरी पूर्व आई.जी. ने उठाई है.
उन्होंने सोनभद्र दुद्धी में मांस व्यापार में लगे व्यापारियों पर खाद्य एवं रसद विभाग द्वारा लगाएं लाखों रूपए के जुर्माने पर तीखा आक्रोश व्यक्त किया है। उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि किसी के भी खान पान पर रोक संविधान में मिले मूल अधिकारों का हनन है। इस लिए जिला प्रशासन और खाद्य व रसद विभाग द्वारा दुद्धी, रेनूकूट और अनपरा जैसी जगहों पर मांस व्यापार पर रोक लगवाना और व्यापारियों पर जुर्माना लगाना माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवमानना है। यह भी ज्ञातव्य है कि संविधान की धरा 19 (जी) में प्रत्येक नागरिक का कोई भी व्यापर तथा व्यवसाय करने का मौलिक अधिकार है परन्तु योगी सरकार का उपरोक्त आदेश उस अधिकार का हनन करता है. राज्यपाल को भेजे पत्र में उन्होंने सोनभद्र जिलाधिकारी को माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हुए इस तरह के उत्पीड़न पर रोक लगाने का निर्देश देने की मांग भी की है।
उन्होंने कहा कि दरअसल मांस व्यापार में अमेरिका की बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के लिए यूपीए सरकार ने छोटे मझोले मांस व्यापार पर प्रतिबंध लगाने के लिए 2011 में कानून बना दिया है और मोदी और योगी की सरकारें अब इसे लागू करने में लगी हैं। इस कानून से देश में मांस व्यापार में लगे व्यवसायी तो बर्बाद होगें ही साथ ही पशुपालन के बूते अपनी जिदंगी चला रहे किसान भी इससे तबाह हो जायेंगे। इसलिए इस पर रोक के लिए स्वराज अभियान सड़क से लेकर न्यायालय तक लड़ाई में व्यापारियों का सहयोग करेगा। स्वराज अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रशांत भूषण खुद इस कानून के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे है। स्वराज अभियान इस आदेश के विरुद्ध शीघ्र ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दायर करने जा रहा है.