सुभाष के सपनों व विचारधारा पर बहस जरूरी
आजाद हिन्द हेडक्वार्टर को बनवायें या हमें दे दें मोदीजी: दीपक
लखनऊ: नेताजी सुभाषचन्द्र की पावन जयंती के उपलक्ष्य में लोहिया न्यास में “सुभाष, लोहिया व समाजवाद“ विषय पर परिचर्चा का आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता लुआक्टा के अध्यक्ष डा० मनोज पाण्डेय व संचालन नईम खान ने किया।
समाजवादी चिन्तक व चिन्तन सभा के अध्यक्ष दीपक मिश्र ने कहा कि नेताजी सुभाषचन्द्र भारत को स्वतंत्र कराकर शोषण विहीन समतामूलक समाजवादी देश बनाना चाहते थे। सुभाष ने हरिपुरा अधिवेशन में अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा था कि वे भारत की राष्ट्रीय समस्याओं का उन्मूलन समाजवादी तौर तरीके से ही सुलझाई जा सकती है। वे भारत में समाजवादी गणतंत्र के प्रबल पैरोकार थे। एक सम्मेलन में उन्होंने राममनोहर लोहिया की उपस्थिति में कहा था कि सच्चे समाजवादियों को समाजवाद विरोधी भूमिका पूरी ताकत से निभानी होगी। हमारा इतिहास साक्षी है कि 1927 में अखिल बंग विद्यार्थी समागम की अध्यक्षता सुभाष दा ने डा० लोहिया समान वैचारिक भावभूमि का होने के कारण करवाया था। दोनों हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाना चाहते थे। आजाद हिन्द की स्थापना करते हुए नेताजी ने हिन्दी को ही राष्ट्रभाषा घोषित किया जबकि उनकी मातृभाषा बंगला थी। लोहिया आजाद दस्ता बनाकर ब्रिटानिया हुकूमत से लड़े और सुभाष की तरह आजाद रेडियो का प्रयोग जन जागृति के लिए किया था। दोनों श्रम गहन लघु उद्योगों पर आधारित अर्थव्यवस्था के आधार भारतीय अर्थतंत्र को विकसित करना चाहते थे ताकि यहाँ अमीर-गरीब खाई न्यूनतम स्तर पर हो। आज भारत में एक फीसदी अमीर लोगों का 73 फीसदी आय पर कब्जा है। श्री मिश्र ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सुभाष से जुड़ी विरासत आजाद हिन्द फौज हेडक्वार्टर को बदहाली से बचाने की अपील की और कहा कि मोइरांग में स्थित हेडक्वार्टर को या तो सरकार बनवाए अथवा समाजवादी बौद्धिक सभा को बनवाने की अनुमति दे। हम समाजवादी लोग भिक्षाटन व जनसहयोग से हेडक्वार्टर को बनवाकर राष्ट्र को समर्पित कर देंगे। श्री मिश्र ने आजाद हिन्द फौज के जर्जर व जीर्ण-शीर्ण हेडक्वार्टर की तस्वीरें व वीडियो भी दिखलाए।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डा० मनोज पाण्डेय ने महात्मा गाँधी व नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के वैचारिक मतभेदों पर प्रकाश डाला और कहा कि सुभाष की देशभक्ति व समर्थन से नई पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आजाद हिन्द फौज में हिन्दू व मुसलमान दोनों शामिल थे। मुसलमानों की देशभक्ति पर सवाल उठाने वाले सुभाष व आजाद हिन्द फौज का इतिहास पढ़ें। नोएडा से आए खुर्रम खान ने कहा कि सुभाष न केवल हिन्दुओं अपितु मुसलमानों के भी प्रेरणा पुरुष, पूर्वज व आदर्श हैं। यदि सुभाष जीवित रहते तो देश का बँटवारा नहीं होता। सुभाष ने आबिद हसन के नारों को आजाद हिन्द फौज का नारा बनाया था। कर्नल अजीज अहमद, एम.जेड. कियानी, ले० कर्नल एहसान कादिर, कर्नल शाहनवाज, करीब गनी जैसे राष्ट्रभक्त मुसलमानों का नेताजी ने फौज में ऊँचा मुकाम दिया।
परिचर्चा में शिव कुमार यादव, डा० सुनील, देवी प्रसाद यादव, शिवम् यादव, रजत, नई खान, हिमांशू मिश्र, जगन्नाथ यादव व रिजवान खान ने अपने विचार रखे। अन्त में पुस्तकालय सुभाष के तीन ऐतिहासिक भाषणों का वाचन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की तस्वीर व लोहिया की प्रतिमा के माल्यार्पण से प्रारम्भ हुआ।