मनमोहन सरकार ने उद्योगपतियों पर लुटाया जनता का पैसा: मोदी
नई दिल्ली: औद्योगिक संगठन फिक्की के सालाना बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछली यूपीए सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने बैंकों पर उद्योगपतियों को हजारों करोड़ रुपए का ऋण देने के लिए दबाव डाला. पिछली यूपीए सरकार के कार्यकाल में चुनिंदा उद्योगपतियों को बैंक ऋण दिए गए जिससे जनता के पैसे की लूट हुई. साथ ही एनपीए की समस्या भी पिछली सरकारों की देन है. ये राष्ट्रमंडल खेल, टूजी और कोयला घोटाले से भी बड़ा घोटाला है.
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने उद्योग जगत और राजनीतिक दलों से जनता की आकांक्षाएं पूरा करने का आह्वान किया, जो भ्रष्टाचार और काले धन से निजात चाहती हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि मुद्रा योजना के तहत 9.75 लाख युवाओं को रोजगार के लिए बिना गारंटी के चार लाख करोड़ रुपए से अधिक के ऋण दिए गए हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे यहां एक ऐसा सिस्टम बना जिसमें गरीब हमेशा इस सिस्टम से लड़ रहा था. छोटी-छोटी चीजों के लिए उसे संघर्ष करना पड़ रहा था. गरीब को बैंक अकाउंट खुलवाना है, उसे गैस कनेक्शन चाहिए, तो सिस्टम आड़े आ जाता था. अपनी ही पेंशन, स्कॉलरशिप पाने के लिए यहां-वहां कमीशन देना होता था. सिस्टम के साथ इस लड़ाई को बंद करने का काम ये सरकार कर रही है.
हम एक ऐसे सिस्टम का निर्माण कर रहे हैं जो ना सिर्फ पारदर्शी हो बल्कि संवेदनशील भी हो. एक ऐसा सिस्टम जो लोगों की आवश्यकताओं को समझे. उन्होंने कहा कि हम गरीब की एक-एक आवश्यकता, एक-एक समस्या को पकड़ कर उसे सुलझाने के लिए काम कर रहे हैं. गरीब महिलाओं को लगातार शर्मिंदगी का सामना ना करना पड़े, उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा पर असर ना हो, इसलिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत 5 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनवाए गए.
उन्होंने कहा कि मैं गरीबी की उस दुनिया से निकलकर आपके बीच आया हूं, जहां सीमित संसाधन, सीमित पढ़ाई, लेकिन सपने अथाह-असीमित थे. उसी दुनिया ने सिखाया कि गरीबों की आवश्यकताओं को समझते हुए कार्य करो. सरकार नौजवानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फैसले ले रही है, योजनाएं बना रही है. इसके बिल्कुल उलट आपको पिछली सरकार में देखने को मिलेगा. उस दौरान कुछ बड़े उद्योगपतियों को लाखों करोड़ के लोन दिए गए, बैंकों पर दबाव डालकर पैसा दिलवाया गया.
उन्होंने कहा कि बैंकिंग सेक्टर की दुर्दशा पर फिक्की ने कोई सर्वे किया है या नहीं? जब सरकार में बैठे कुछ लोगों द्वारा बैंकों पर दबाव डालकर कुछ विशेष उद्योगपतियों को लोन दिलवाया जा रहा था, तब फिक्की जैसी संस्थाएं क्या कर रही थीं? एनपीए यूपीए सरकार का सबसे बड़ा घोटाला था. कॉमनवेल्थ, टूजी, कोयला से भी कहीं ज्यादा बड़ा घोटाला. ये एक तरह से सरकार में बैठे लोगों द्वारा उद्योगपतियों के माध्यम से जनता की कमाई की लूट थी. जो लोग मौन रहकर सब कुछ देखते रहे, क्या किसी संस्था द्वारा उन्हें जगाने की कोशिश की गई.
उन्होंने कहा कि सरकार बैंकिंग सिस्टम को ठीक करने के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है. बैंकों का हित सुरक्षित होगा, ग्राहकों का हित सुरक्षित होगा, तभी देश का हित भी सुरक्षित रहेगा. उन्होंने कहा कि एफआरडीआई को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं. सरकार बैंकों में जमा लोगों की पूंजी को सुरक्षित रखने के लिए काम कर रही है, लेकिन खबरें इसके ठीक उलट फैलाई जा रही हैं. भ्रमित करने वाली ऐसी कोशिशों को नाकाम करने में फिक्की जैसी संस्था का योगदान जरूरी है.
उन्होंने कहा कि सरकार इस लक्ष्य पर काम कर रही है कि 2022 तक देश के गरीब के पास अपना घर हो. इसके लिए लाखों घरों का निर्माण किया जा रहा है. घरों को बनाने के लिए संसाधन स्थानीय स्तर पर ही जुटाई जा रहा है. घरों के निर्माण में जो सामान लग रहा है, वो भी स्थानीय बाजार से ही आ रहा है.