नयी सौर नीति से उत्तर प्रदेश में 100 प्रतिशत स्वच्छ ऊर्जा विकास का रास्ता साफ होगा: सीड
लखनऊ: सेंटर फॉर एन्वॉयरोंमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) ने उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट द्वारा गत 5 दिसंबर को पास किये गये ‘सोलर पॉलिसी-2017’ का स्वागत किया है। यह नीति बिल्कुल सही समय पर आयी है, जिससे राज्य में स्वच्छ ऊर्जा के विकास को बल मिलेगा। उत्तर प्रदेश को एक वरदान के रूप में सालों भर सूरज की रोशनी मिलती है और नयी सौर ऊर्जा नीति ने राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप राज्य सरकार के विजन को पुनः सुनिश्चित किया है। यह नीति के तहत वर्ष 2022 तक 10,700 मेगावाट ग्रिड कनेक्टेड सोलर क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके फलस्वरूप देश में सालाना 13,669,250 t/CO2 के कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस नीति के तहत देश में सबसे ज्यादा ऊंचे लक्ष्य को तय किया गया है, जिससे यह स्वच्छ व सुरक्षित ऊर्जा क्षेत्र में नये निवेश को प्रोत्साहित करेगी और इसक प्रकार यह राज्य के आर्थिक दृष्टिकोण को सुधारने में योगदान देगी।
राज्य सरकार द्वारा घोषित सोलर पॉलिसी की सराहना करते हुए सीड के सीइओ श्री रमापति कुमार ने कहा कि ‘सरकार द्वारा 10 हजार ‘‘सूर्य मित्रों’’ को तैयार करना वाकई एक अनूठी पहल है और इस कोशिश से सामान्य लोगों के बीच सौर तकनीक के प्रति विश्वास और सौर ऊर्जा के प्रति जागरूकता को बढ़ाने में निश्चय ही मदद मिलेगी। इसी तरह 10,700 मेगावाट के स्थापना लक्ष्य के जरिये राज्य में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों के लिए रोजगार सृजन होगा, जिससे बेरोजगारी को मिटाने में भी मदद मिलेगी। साथ ही प्रति किलोवाट 15 हजार रुपये की सब्सिडी/अनुदान से लेकर अधिकतम 30 हजार रुपये प्रति ग्राहक के अतिरिक्त लाभ के प्रावधान से उन आवासीय उपभोक्ताओं को प्रोत्साहन मिलेगा, जो अपने घरों व भवनों की छतों पर सोलर पावर रूफटॉप प्लांट लगाना चाहते हैं।’
उन्होंने आगे बताया कि ‘पिछले साल सीड ने ‘‘100% यूपी कैंपेन’’ के तहत एक पब्लिक मेनिफेस्टो जारी किया था, जिसमें सरकार से यह मांग की गयी थी कि वह केंद्र सरकार द्वारा तय किये गये लक्ष्यों के अनुरूप एक ठोस नीति का निर्माण करे। हम खुश हैं कि सरकार ने हमारी मांगों पर ध्यान दिया और इस नीति को तैयार कर प्रस्तुत किया है। इस नयी नीति के तहत वर्ष 2022 तक खास तौर पर रूफटॉप सोलर प्रोजेक्ट्स के जरिये 4300 मेगावाट सौर बिजली उत्पादित करने का लक्ष्य महत्वाकांक्षी और बढ़िया कदम है और हम इस पहल का पुरजोर स्वागत करते हैं। इस उपाय से आवासीय और व्यावसायिक उपभोक्ताओं द्वारा इस्तेमाल में लाये जा रहे डीजल जेनरेटर के इस्तेमाल को खत्म करने में मदद मिलेगी, क्योंकि जीवाश्म ईंधनों का उपयोग राज्य के बड़े शहरों में वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है।’ श्री रमापति कुमार ने इस बात पर भी जोर दिया कि ‘नवीन व अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) 10,700 मेगावाट के लक्ष्य को लागू करने की दिशा में जरूरी स्पष्ट दिशानिर्देशों को तैयार कर इसे अविलंब सार्वजनिक करे। सीड इन गाइडलाइन के विकास में राज्य सरकार व यूपीनेडा सहित अन्य एजेंसियों के साथ मिल कर काम करने और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को तत्पर और प्रतिबद्ध है।’