मनकामेश्वर मंदिर में हुआ सुवर्णप्राशन संस्कार
30 बच्चों को वैद्यों ने पिलाई सुवर्ण औषधि
लखनऊ। मनकामेश्वर मंदिर मठ की ओर से बच्चों का सुवर्णप्राशन संस्कार का आयोजन किया गया। डालीगंज स्थित मंदिर परिसर में बुधवार को आयोजित कार्यक्रम में योग्य वैद्यों की देखरेख में 30 बच्चों का संस्कार किया गया। इस दौरान आयुर्वेदाचार्यों ने बच्चों को रोगनिवारक औषधि देकर उनके स्वास्थ की मंगलकामना की।
दिन में आयोजित कार्यक्रम में सुवर्णप्राशन संस्कार के बारे में वैद्य अभय नारायण तिवारी ने जानकारी दी। उन्होंने बच्चों के अभिभावकों को बताया कि आधुनिक चिकित्सा प्राणाली में जिस तरह बच्चों की रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ाने के लिए कई वैक्सीन का प्रयोग किया जाता है। उसी तरह आयुर्वेद में बच्चों का सुवर्ण प्राशन संस्कार विधि का प्रावधान है। यह आयुर्वेदिक इम्युनाइजेशन प्रक्रिया है। जिससे बच्चों में रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है, जिससे वह निरोगी रहते हैं। इस औषधि को स्वर्ण भस्म आदि औषधियों से निर्मित किया जाता है। जिसे लिक्विड के रुप में पिलाया जाता है।
सुवर्ण प्राशन संस्कार से होता है सर्वांगीण विकास
महंत देव्यागिरि ने बताया कि सुवर्ण प्राशन संस्कार बच्चों के सर्वांगीण शारीरिक विकास के लिए प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। महर्षि कश्यप ने अपने ग्रंथ कश्यप संहिता में इसके लाभों का वर्णन किया है। आचार्य श्याम नरेश तिवारी ने बताया कि कश्यप संहिता के मुताबिक बुद्धि, बल, उम्र बढ़ाना, आकर्षण, मानसिक विकास आदि में वृद्धि कर रोगरहित करने में सुवर्ण प्राशन संस्कार कारगर है। बच्चों को एक महीने तक रोजाना सुवर्ण प्राशन देने से बच्चे का संपूर्ण शारीरिक विकास होता है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बच्चे और उनके अभिभावक मौजूद थे।