रसूले अकरम बदले के लिए नहीं, बदलाव के लिए आए: सै. जुनैद अशरफ किछौछवी
लखनऊ। आॅल इण्डिया हुसैनी सुन्नी बोर्ड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सैयद जुनैद अशरफ किछौछवी ने रसूल अल्लाह के फतह मक्का का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह एक ऐसी जंग थी जिसकी मिसाल दुनिया की तख्लीक से लेकर अब तक नहीं मिलती। आप सल्ललाओं अलैहि वसल्लम ने मक्का मंे चढ़ाई करने से पूर्व रात को अपने सहाबों को बुलाया और कहा कि कल हम मक्का पर चढ़ाई करेंगे। चढ़ाई करते समय तुम्हारे सामने लोग खेतों में काम करते नज़र आयंेगे, कुछ लोग घरों में दुबके होंगे, बच्चे खेलते हुए दिखेगें, औरतों-बूढ़ों भी दिखाई देगे, तुम्हें निजी लड़ाई वाले लोग भी दिखाई देगे। खजूर के बाग, पेड़-पौधे, दुकानें भी नज़र आएगी। मगर मेरी यह बात याद रखना कि इनमें से तुम किसी पर भी हथियार मत उठाना। खेतों-दुकानों पर बिल्कुल नुकसान न पहुँचाना, सिर्फ उन्हीं से जंग करना जो तुम्हारा रास्ता रोके। तारीख गवाह है कि बगैर जंग किए पूरा मक्का आपने फतह कर लिया। सिर्फ मक्का ही नहीं बल्कि मक्के वालों का भी दिल जीत लिया। आप सल्ललाओं अलैहि वसल्लम ने पूरे मक्के वालों का माफ कर दिया। जिन्होंने आप पर कूड़ा फंेंका, पत्थर बरसाए, जानी दुश्मन बन गए, आपके साथियों के साथ बदसुलूकी की थी। फिर भी आपने उनको माफ कर दिया। आप सल्ललाओं अलैहि वसल्लम दुनिया में बदले के लिए नहीं बदलाव के लिए आए थे। आप सल्ललाओं अलैहि वसल्लम ने उँच-नीच, अरबी-अजमी, अमीरी-गरीबी का भेदभाव मिटाया। दुनिया को एक संदेश दिया कि दहशतगर्दी का इलाज दहशतगर्दी नहीं बल्कि अमन व शान्ति है।
आॅल इण्डिया हुसैनी सुन्नी बोर्ड ने भारत सरकार से यह मांग करता है कि 12 रबीअव्वल को विश्व शान्ति दिवस के रूप में मनाया जाए। और सभी आशिकाने रसूल से अपील करता है कि 12 रबीउलअव्वल को जुलूसे मोहम्मदी मंे शिरकत करते वक्त विश्व शान्ति दिवस का बैनर अपनी अंजुमन के साथ लेकर चलें।