नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि नोटबंदी का प्रभाव हमारे समाज और व्यापार के कमजोर वर्गों के लिए आर्थिक संकेतकों में जाहिर प्रभाव से कहीं अधिक खतरनाक है.

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भूल(नोटबंदी की) स्वीकार कर लेना चाहिए. उन्होंने नोटबंदी की सालगिरह के दो दिन पहले ये बात कही. गौरतलब है कि पिछले साल 8 नवंबर को ही नोटबंदी लागू की गई थी.

ब्लूमबर्ग क्विंट को दिए गए इंटरव्यू में सिंह ने कहा सरकार को अपनी प्राथमिकताओं को दुरुस्त करना चाहिए और अर्थव्यवस्था को ठीक करने की दिशा में काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि राजनीति करने का समय अब खत्म हो चुका है.

नोटबंदी को आरबीआई की आजादी और विश्वसनीयता पर हमला बताते हुए उन्होंने ये आशंका भी जताई कि ये दूसरे क्षेत्रों के संस्थानों के कमतर होने की ओर भी इशारा करता है.

उन्होंने आगे कहा कि कैश लेनदेन को कम करने और काला धन रोकने का प्रयास तारीफ योग्य कदम हो सकता था लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है कि इसे हासिल कैसे किया गया. उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को जबरन, धमकी या छापेमारी के माध्यम से हासिल नहीं किया जा सकता.

उन्होंने आगे कहा कि ये भी साफ नहीं है कि कैशलेस अर्थव्यवस्था से छोटे उद्यमियों को कोई फायदा मिल सकेगा. उन्होंने कहा कि सरकार को अपनी नीति से छोटे उद्यमियों की मदद करने की कोशिश करनी चाहिए.

अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को जीएसटी के माध्यम से औपचारिक बनाने के सरकार के प्रयास पर सिंह ने कहा कि टैक्स आधार के विस्तार की कोशिश का निश्चित तौर पर स्वागत किया जाना चाहिए लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी चेतावनी दी कि वर्तमान में इसे जिस तरह से लागू किया जा रहा है, जीएसटी से अनौपचारिक क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पटरी से उतर जाएगी.