राष्ट्रीय पुस्तक मेला: साहित्य और अध्यात्म की किताबें बनीं पहली पसंद
लखनऊ। नवाबी नगरी के मोतीमहल लान राणाप्रताप मार्ग में समापन की ओर बढ़ चला पन्द्रहवां राष्ट्रीय पुस्तक मेला साहित्य और संस्कृतिप्रेमियों का समागम स्थल बना हुआ है। समापन की ओर बढ़ चले मेले में विविध साहित्य के स्टालों में पुस्तकप्रेमियों का हुजूम है। मेले में चर्चित हुई अनेक किताबें स्टाल वाले दोबारा मंगा रहे हैं तो दोनों सांस्कृतिक मंचों पर साहित्यिक और गीत-संगीत, कवि सम्मेलन मुशायरे का दौर सुबह से देर रात तक जारी है।
यहां रोज सुबह 11 बजे से रात नौ बजे तक नवरात्र-दशहरे की पूर्ववेला पर चल रहे निःशुल्क प्रवेश वाले पुस्तक मेले में रामपुर रजा लाइब्रेरी की फारसी से हिन्दी में अनूदित हुई वाल्मीकि रामायण चर्चित पुस्तक रही और आज इसकी स्टाल पर एक भी प्रति नहीं थी। सुमेरचन्द्र द्वारा फारसी में अनुवादित यह रामायण तीन खण्डांे में प्रो.शाह अब्दुस्सलाम व सहयोगियों ने तैयार की है। वैज्ञानिक शब्दावली आयोग की प्रशासनिक शब्दावली की किताब की भी कई प्रतियां निकल गईं। साहित्य में श्रीलाल शुक्ल की राग दरबारी, बच्चन की मधुशाला व प्रेमचन्द जैसे रचनाकारों के संग ही अध्यात्म की किताबों की बिक्री बराबर चल रही है। गर्मी कम होने के साथ शाम को मेले में खासी रौनक रही।
मेले में आज ज्योति किरन रतन के संचालन मे चले कार्यक्रम में मौलाना कल्बे सादिक, वेदांत दृष्टि के पंडित सुभाष त्रिपाठी, समाजसेवी ओपी श्रीवास्तव व न्यायमूर्ति एससी वर्मा श्रीराम प्रपत्ति पीठाधीश्वर स्वामी डा.सौमित्राचार्य की पुस्तक प्रपत्ति प्रवाह के विमोचन अवसर पर मुख्य मंच पर आए। गुरु देवराहा बाबा को समर्पित पुस्तक के दूसरे भग में 201 अध्यात्मिक लेख हैं, जो साधन सम्बंधी अनेक समस्याओं के निवारण के उपाय सुझाने के साथ ही जीवन का मधुर और सार्थक बनाने के संदेश देते हैं। इससे पहले आज सुबह हिन्दी वांग्मय निधि के माध्यम से लखनऊ पर प्रकाशित 40 किताबों में से रामकिशोर की आर्यसमाज पर छपी पुस्तक को लेकर शहर और आर्यसमाज पर चर्चा चली। पीआर पाण्डेय के संचालन में चले कार्यक्रम में हरिद्वार से आए आचार्य डा.रूपचन्द दीपक, न्यायमूर्ति राकेश शर्मा, प्रो.शैलेन्द्रनाथ कपूर, अरविंद चतुर्वेदी व रागिनी चतुर्वेदी ने विचार रखे। इसके उपरांत मदनमोहन मनुज, देवकीनंदन शांत, डा.विद्याविंदु सिंह अप अन्य साहित्यकारों की उपस्थिति में उषा सिसोसिया के काव्य संग्रह चश्मदीद का विमोचन हुआ। संरचना की ओर से उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति पर केन्द्रित परिचर्चा में पुष्पा वैष्णव, उमेश शुक्ला, हरीश उपाध्याय आदि ने विचार रखे। साथ ही अनुपमा के निर्देशन में अदिति, अर्ची, प्रगति, विदुषी, तान्या, येशु वर्मा आदि बच्चों ने गीत और नृत्य की सुंदा प्रस्तुतियां दीं। इसी मंच पर डा.अमिता दुबे, संजय जायसवाल इत्यादि की मंच पर मौजूदगी में नीरजा हेमेन्द्र की पुस्तक जीहां मैं लेखिका हूं के लोकार्पण से पूर्व रोचक कहानियां पढ़ी गईं। देर शाम तक अनंत अनुनाद संस्था के काव्य समागम में कविताओं की गंूज पाण्डाल में उठती रही।