नई दिल्ली: इस्‍लामिक उपदेशक डॉक्‍टर जाकिर नाईक ने केंद्र सरकार पर राजनीतिक फायदे के लिए अल्‍पसंख्‍यकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है. नाईक ने केंद्र सरकार के लिए 'हिंदू राष्‍ट्रवादी सरकार' टर्म का इस्‍तेमाल किया. उन्‍होंने इंटरपोल से अनुरोध किया कि वह भारत सरकार की उनके खिलाफ रेड कॉर्नर जारी करने की याचिका को स्‍वीकार ना करे.

नाईक के वकीलों की ओर से फ्रांस में मौजूद इंटरपोल के सेक्रेटरी जनरल को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि रेड नोटिस जारी और पब्लिश ना किया जाए. इसके लिए कारण बताया गया है कि भारत सरकार की याचिका इंटरपोल के संविधान और नियमों के अनुसार नहीं है.

नाईक के वकील कॉर्कर बिनिंग की ओर से भेजे खत में कहा गया है, 'वह(नाईक) न्‍याय से भाग नहीं रहे हैं.' खत में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोपों का खंडन भी किया गया है.

पत्र में लिखा है, 'जब एक हिंदू राष्‍ट्रवादी सरकार ने भारत के मुस्लिम अल्‍पसंख्‍यकों में जोरदार समर्थन रखने वाले एक धर्मशास्‍त्री के खिलाफ संदिग्‍ध आपराधिक कार्रवाई शुरू की है और आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोपों के जरिए उसकी प्रतिष्‍ठा को खराब करना चाहा है तो फिर विशेष चौकसी की जरूरत है.' आगे लिखा गया है कि भारतीय आपराधिक प्रक्रिया का राजनीतिक फायदे के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है. इसके जरिए डॉ. नाईक की अभिव्‍यक्ति की आजादी के शांतिपूर्ण तरीके में बाधा डाली जा रही है.

बता दें कि जाकिर नाईक पिछले साल से भारत से बाहर है. जनवरी 2016 में बांग्‍लादेश की राजधानी ढाका में आतंकी हमले के बाद नाईक पर आरोप लगा था कि उन्‍होंने युवाओं को आतंक से जुड़ने को उकसाया.