लखनऊ। पैगम्बरे इस्लाम सल्ल0 का कथन है कि जो ईमान वाला हैसियत होने के बाद भी कुर्बानी न करे वह हमारी ईदगाह में न आए। इस कथन पर अमल करते हुए हर हैसियत वाले मुसलमानों पर बकरा ईद में कुर्बानी करना फर्ज़ है। इस बार कुर्बानी कराना कुछ मुश्किल नज़र आ रहा है ऐसे में एक दूसरे की मदद करते हुए कुर्बानी के फर्ज़ को अदा करें। कुर्बानी कोई रस्म नहीं बल्कि पैगम्बरे इस्लाम हजरत इब्राहिम (अ0) की सुन्नत है और हजरत मोहम्मद साहब सल्ल0 ने उसको अपनाया। यह अहम इबादत हैै। मुसलमान रास्तों में कुर्बानी न करें बल्कि किसी हाता या मैदान में करें। कुर्बानी का खून व अन्य फालतू वस्तुओं को फेंकने के बजाए जमीन में गाड़ दें। कुर्बानी के बाद सफाई का विशेष ध्यान रखें। कोशिश यह करें कि सामूहिक तौर पर कुर्बानी करें। मोहल्ले के लोग एक जगह जमा हो जाएं और कुर्बानी करें। किसी भी अन्य व्यक्ति को परेशानी न होने पाये। कानून के विरूद्ध कोई काम न होने पाये। शांति भंग न होने पाए। क्षेत्र मोहल्ले के सक्रिय लोगों की कमेटी बना लें जो हालात पर निगाह रखें, परेशानी पर काबू पाएं और कमेटी अपनी निगरानी में कुर्बानी कराएं। अफवाहें न फैलने दे। कोई भ्रम वाली सूचना मिले तो कमेटी से संपर्क करें। मस्जिदों के इमाम कुर्बानी का महत्व बताएं। और अमन और शान से इस फर्ज़ को पूरा करें।

यह अपील जमियत उलमा के पदाधिकारियों और धर्मगुरू ने अवाम से की। मंगलवार को जमियत उलमा जिला लखनऊ ने यू0पी0 पे्रस क्लब में हुई पत्रकार वार्ता में कुर्बानी के महत्व, उसकी जरूरत और सुरक्षात्मक पहलूओं पर रोशनी डाली। पत्रकार वार्ता में जमियत उलमा जिला लखनऊ के कार्यकारी अध्यक्ष डा0 सलमान खालिद, जमियत उलमा उ0प्र0 के कोषाध्यक्ष सै0 हसीन हाशमी, जिला लखनऊ के महासचिव हुसैन अमीन, सचिव डा0 अब्दुल कुद्दूस हाशमी, चैधरी आले उमर कुरैशी, कमाल उद्दीन सिद्दीकी एडवोकेट आदि ने संबोधित किया। इस मौके पर पदाधिकारियों ने बताया कि इस सिलसिले में लखनऊ के जिलाधिकारी महोदय को एक ज्ञापन देकर उनका ध्यान भी सुरक्षात्मक और बंदोबस्त की ओर आकर्षित कराया गया है।

जिलाधिकारी को दिय गए ज्ञापन में मुख्य रूप से पांच बातों की ओर शासन प्रशासन का ध्यान आकर्षित कराया गया है। कि गत वर्षों की भांति कुर्बानी का त्योहार इस वर्ष 2 से 4 सितम्बर तक मनाया जाएगा। मुसलमान अपनी हैसियत के मुताबिक बकरे, भैंस आदि पर हिस्सा लेकर कुर्बानी कराते हैं। जिसके लिए पशु व्यापारी दूर-दराज से पशु बेचने के लिए लाते हैं। इसी तरह कुर्बानी करने के बाद लोग तबररूक का गोश्त गरीबों के अलावा दूर-दूर अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को बंाटने जाते है। अतः आम मुसलमान जैसे कुर्बानी कराते हैं कुर्बानी के दौरान सुरक्षा व्यवस्था का उचित प्रबंध कराया जाए तथा पशुओं के लाने-लेजाने और गोश्त के बांटने के दौरान भी सुरक्षा व शांति को सुनिश्चित बनाया जाए। जमियत उलमा ने अपने ज्ञापन में शासन प्रशासन का ध्यान पुराने लखनऊ के नीबू पार्क के बाहर लगने वाली अस्थायी पशु मंडी की ओर भी दिलाते हुए कहा कि गत वर्ष हुसैनाबाद क्षेत्र में सौन्दर्यीकरण का काम चल रहा है अतः प्रशासन ने बकरा मण्डी गोमती किनारे घैला में स्थानन्तरित कर दी थी। जहां व्यापारियों के अलावा बकरा खरीदने वालों को भी अत्याधिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। उस सुनसान इलाके में लोगों की जेबें कटी, बिजली करेंट से पशुओं का नुकसान हुआ। अतः बकरा मण्डी को वापस नीबू पार्क के पास लगाया जाए। जमियत उलमा ने शासन प्रशासन का ध्यान तथा-कथिक गौ-रक्षकों की ओर दिलाते हुआ कहा कि अगर कहीं भी कोई व्यक्ति, संगठन या समूह कुर्बानी के धार्मिक कार्य में कोई रोड़ा बनने की कोशिश करेगा तो उस से शांति व्यवस्था भंग होने के के अलावा शासन प्रशासन की बदनामी होगी। साथ ही भारतीय संविधान में दिए गए समान नागरिकता के अधिकारों का खुला हनन भी होगा। पदाधिकारियों ने कहा कि जमियत उलमा एक समाजी संगठन हैं और जमियत की यह समाजिक जिम्मेदारी है कि देश और प्रदेश में पूरी तरह अमन शांति रहे । इसी लिए जनता से शांति बनाएं रखने की अपील करती है।