सरकार को नोट बदलने का हक तो है मगर किसी भी धर्म के लाॅ को बदलने का हक नहीं: किछौछवी
लखनऊ: आॅल इण्डिया मोहम्मदी मिशन के अन्तर्गत ‘‘आज़ाद हिन्दुस्तान और मुसलमान’’ के शीर्षक से एक कार्यक्रम कैम्पबेल रोड, बालागंज, लखनऊ में आयोजित हुआ जिसमें आजादी के बाद भारत के मुसलमानों ने क्या किया? क्या पाया और वर्तमान में कहाँ पर हैं इस पर परिचर्चा हुई। इस कार्यक्रम की सरपस्ती आॅल इण्डिया मोहम्मदी मिशन के अध्यक्ष सैयद अयूब अशरफ किछौछवी ने की, अध्यक्षता खतीबे अहले बैत सैयद तलहा अशरफ और कयादत आॅल इण्डिया मोहम्मदी मिशन यूथ विंग के अध्यक्ष सै. मो. अहमद मियाॅ ने की। इस मौक पर अयूब अशरफ किछौछवी ने कहा कि भारत के संविधान ने सभी धर्मों को अपने पर्सनल लाॅ पर जीने का हक दिया है। सरकार को नोट बदलने का हक तो है मगर किसी भी धर्म के लाॅ बदलने का हक हासिल नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारत सरकार से हम मांग करते है कि कानून बनाते समय ईस्लामिक शरीअत का ख्याल रखें।
इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए आॅल इण्डिया हुसैनी सुन्नी बोर्ड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सैयद जुनैद अशरफ किछौछवी ने कहा कि मुसलमान आज जिस हालत में है उसके लिए स्वयं दोषी है। मुसलमानों की पहचान उनका चरित्र व उनकी शिक्षा हुआ करती थी। अंग्रेज एक मुसलमान की गवाही फौरन मान लेते थे उनका कहना था कि मुसलमान अगर है तो झूठ नहीं बोल सकता। उन्होंनें ने कहा कि मुसलमानों में शिक्षा की सख्त जरूरत है। पिछले 70 सालों में मुसलमानों को खद्दरधारियों ने बकरी एक झंुड कि समान अपने स्वार्थ के लिए कभी इस खूंटे, तो कभी उस खूंटे में बांधा है और हम बेतालीम, बेअकल बंधते चले गए और अगर हालात नहीं बदले तो आगे भी ऐसी ही बंधते चले जायेंगे। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए इनलाईफ फाउंडेशन के चेयरमैन मो. फैज़ान ने कहा कि वर्तमान में मुसलमानों को सब्र, हिकमत और समझदारी से काम लेना है। इसमे वही लोग कामयाब होते जो हिकमत से काम लेते हैं। उन्होंने कहा कि क्या हम अपने मकसद से भटक गए हैं? जबकि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी हमारी है। मगर अफसोस की बात यह है कि दुनिया सबसे बड़ी आबादी होने के बावजूद भी सबसे ज्यादा हम ही परेशान है। और इसे हम उद्देश्यपरक शिक्षा से ही दूर हो सकते हैं। सुन्नी इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य अनवर कादिर ने कहा कि आजादी के बदल मुसलमानों ने क्या योगदान दिया इस पर अगर मैं बोलने लगूं तो सुबह से शाम और शाम से सुबह हो जायेगी मगर योगदान का एक हिस्सा भी न हो पायेगा। उन्होंने कहा कि इस मुल्क में सबसे पहले शिक्षा का स्वरूप किसने दिया, सबसे मिसाइल का स्वरूप किसने दिया। पाकिस्तान में घुसकर किसने मारा। हम ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को कौन भूल सकता है, वीर अब्दुल हमीद की बहादुरी कौन पेश कर सकता है। उन्होंने कहा कि हमें जरूरत है शिक्षा की। आज हम 5 प्रतिशत भी स्नातक तक नहीं पहुंच पाते है। हमें शिक्षा में अपने आप को आगे बढ़ाना है। हमें दुनिया में अपनी एक चरित्रवान शिक्षित समाज के रूप पचहान करानी है। इसके अलावा रेहान अन्सारी, एम.ए. चर्चिल, रज़ा हुसैन एडवोकेट, सैयद अली आदि लोगों ने अपने विचारों को प्रकट किया। कार्यक्रम मुख्य रूप से अब्दुल रहमान मुशाहिदी, सै. मो. अरशद, मौलान मुनव्वर, मुफ्ती ज़ाकिर अशरफी, नदीम सिद्दीकी, परवेज अंसारी, मो. रिज़वान खान, अमीर हसन और कसीर तायदार मंे लोग मौजूद थे।