नई दिल्ली: राइट टू प्राइवेसी पर कोर्ट के फैसले के बाद विपक्षी की निंदा झेल रही केंद्र सरकार ने साफ किया है कि उसने कोर्ट के फैसले के मुताबिक ही 'आधार' पर सुरक्षा के सभी पहलुओं को शामिल किया और इस पर कानून बनाकर इसे लागू किया है. उन्होंने कहा कि कोर्ट का फैसला एक सकारात्मक कदम है.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जब संविधान बना था तब न तो संविधान निर्माताओं ने सोचा था, न उस वक्त की सरकार और न ही सुप्रीम कोर्ट ने सोचा था कि यह कभी मौलिक अधिकार भी होगा. इसलिए 50 के दशक में सुप्रीम कोर्ट के आठ जजों ने फैसला कर दिया. इसके बाद 1960 के दशक में 5 जजों ने कहा था कि यह मौलिक अधिकार नहीं है.

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि आपातकाल में कांग्रेस सरकार यहां तक चली गई थी कि आपातकाल के दौरान यदि किसी व्यक्ति से उसकी आजादी छीन ली जाती है या फिर उसका जीवन भी छीन लिया जाता है तो उसके हाथ में कोई भी तंत्र नहीं होगा. इसलिए स्वाभिव था कि जो आठ जजों का मत था, आज से 50-60 साल पुराना, उस पर फिर से विचार करने के लिए 9 जज बैठे.

आधार पर जेटली ने कहा कि जब हम आधार का कानून लाए थे उससे पहले यूपीए की सरकार आधार को लाई थी और बिना किसी कानून के. लेकिन हम लोग कानून लेकर आए थे.16 मार्च, 2016 को संसद में जब बहस हुई थी तो तब सरकार ने साफ कर दिया था कि सुप्रीम कोर्ट में यह विवाद चल रहा है कि निजता, आजादी का अधिकार है या नहीं, लेकिन उस समय यह कहना कठीन था कि यह नहीं है. इसलिए हम यह मान कर चलते हैं कि यह किसी व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता का अंग है. इसलिए हमने आधार में सुरक्षा के सभी पहलुओं को इसमें शामिल किया था.