‘खत्म नहीं होगा किताबों का दौर’
राष्ट्रीय पुस्तक मेला का समापन
लखनऊ: मोबाइल, सोशल मीडिया और इंटरनेट का नई पीढ़ी की मेधा और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है लेकिन प्रिण्ट मीडिया का महत्व जो आज घटता बताया जा रहा है इसका दौर फिर लौटेगा।
यह आशा आज शाम यहां मोतीमहल वाटिका लाॅन राणा प्रताप मार्ग में पिछने 10 दिन से चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले के समापन अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डा.विद्या विंदु सिंह ने व्यक्त की। समापन उप मुख्यमंत्री केशवप्रसाद मौर्य को करनी थी पर वे राजनीतिक व्यस्ताओं के कारण नहीं आ पाए। यहां 11 अगस्त तक चल रहे पुस्तक मेले में लगभग 90 लाख की पुस्तकें बिक गईं।
अपने वक्तव्य में डा.सिंह ने कहा कि किताबों का महत्व कभी कम नहीं होगा। प्रलयकाल में भी समस्त बीजों के साथ वेद ग्रंथो को भी सुरक्षित किया गया था। आज जो संकट किताबों को लेकर कहा जा रहा है, समाज उसकी ओर फिर लौटेगा। हास्यकवि डा.सुनील जोगी ने कहा कि विज्ञान के इस दौर में बहुत सी नई खोजें सामने आई हैं परंतु ज्ञान का विस्तार किताबें ही सार्थक ढंग से करती हैं। डा.अमिता दुबे के संचालन में चले संचालन समारोह में इससे पहले अतिथियों का स्वागत करते हुए आयोजक देवराज अरोड़ा ने बताया कि अगला मेला सितम्बर के दूसरे सप्ताह से कानपुर में होगा। इस अवसर पर राजपाल एण्ड सन्स, पी.एम.पब्लिकेशन, साहित्य भण्डार, भारतीय ज्ञानपीठ, गायत्री ज्ञान मंदिर, नमन प्रकाशन, के.के.पब्लिकेशन, सम्यक प्रकाशन आदि सभी स्टालों और मेले के सहयोगियों को स्मृति चिह्न प्रदान किए। नये हस्ताक्षर काव्य प्रतियोगिता के विजेताओं मुकेश, रफत जहरा व सचिन को पुरस्कृत किया गया व प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किये। अतिथियों के तौर पर राकेश त्रिपाठी व सर्वेश अस्थाना ने प्रतिभागियों व विजेताओं का हौसला बढ़ाया।
मेले के अंतिम दिर पुस्तक प्रेमियों ने जमकर खरीदारी की। मुख्य द्वार के निकट सजी जयंतिक अरोड़ा के कम्प्यूटर ग्राफिक कृतियों और बालिक शिवोना श्रीधरा की कलाकृतियों को भी मेले में भरपूर सराहना मिली। समापन दिवस के कार्यक्रमों में आज नगर के बांग्ला समाज की तीन भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली त्रैमासिक पत्रिका ‘आमरा बंगाली’ के ताजा अंक का विमोचन डा.ऊषा सिन्हा व रंगनाथ मिश्र सत्य ने किया। विमोचन समारोह में प्रकाश के.दत्ता, पार्थो सेन, सुजित सेन गुप्ता, विमल राय, के.एन.बनर्जी, मानसी दत्ता, लक्ष्मी सेन, एस.एन.पाल, उत्तम मुखर्जी, दीपक भट्टाचार्य, पी.के.घोष, कल्पना, ज्योत्सना आदि रचनाकार उपस्थित थे। इससे पहले मेले की गतिविधियों में सुबह सांस्कृतिक मंच पर लेखक से मिलिए कार्यक्रम के अंतर्गत नालेज हब की ओर से डा.सुल्तान एस.हाशमी के महाकाव्य आचार्य नरेन्द्र देव का लोकार्पण हुआ और विद्वानों के बीच साहित्यिक परिचर्चा चली। डा.राकेश ऋषभ की पुस्तक अमृतांजलि के लोकार्पण पूर्व राज्यपाल डा.माताप्रसाद, आकाशवाणी के निदेशक पृथ्वीराज चैहान, कृष्णाजी श्रीवास्तव, डा.वाई.पी.सिंह व अन्य साहित्यकारों की मौजूदगी में हुआ। उनके नाट्य संग्रह वाइफोफोबिया पर भी रचनाकारों ने विचार रखे।