लखनऊ: भारतीय चिकित्सा पद्धति के विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है। केंद्र ने जहां एक तरफ बजट बढ़ाकर कई नये संस्थान बनाए हैं वहीं राज्य सरकार भी इस दिशा में अग्रसर हैं। भारतीय चिकित्सा पद्धति के अंतर्गत आने वाली यूनानी पद्धति का विकास काफी पीछे हैं। केंद्र और राज्य सरकार को यूनानी के विकास के लिए एक रोड मैप बनाना चाहिए। ये बातें बीयूएमएस डॉक्टर्स एसोसिएशन के बैठक में कही गई। एसोसिएशन की बैठक गोलागंज कार्यालय में हुई।

एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी डॉ नियाज़ अहमद ने कहा कि प्रदेश सरकार यूनानी के विकास के लिए रोड मैप बनाए। उन्होंने कहा कि यूनानी दवाओं के विकास के लिए फार्मेसी बनाई जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश में 1973 में दो कॉलेजों का अधिग्रहण किया गया था। तब से लेकर अब तक सिर्फ दो ही यूनानी कॉलेज हैं। इसलिए नये कॉलेज खोलने की सख्त ज़रूरत हैं।

बैठक को संबोधित करते हुए डॉ अशफाक अहमद ने कहा कि यूनानी से जुड़े संगठनों की ज़िम्मेदारी है कि वो अपने साथ-साथ आम लोगों की सेवा करें। उन्होंने कहा कि आम लोगों के बीच यूनानी पद्धति को बढ़ावा देने की ज़रूरत हैं। वर्षों पुरानी इस पद्धति से हमेशा इलाज़ होता रहा है। अब ज़रूरत इस बात की है कि यूनानी पद्धति को आम लोगों के बीच ले जाया जाए।

बैठक की अध्यक्षता बीयूएमएस डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ अब्दुल हलीम ने किया। बैठक में अब तक के बजट को अनुमोदित किया गया। इसके साथ ही सदस्यों की फीस और कई ज़िले में संगठनों की नियुक्ति को पारित किया गया। इसके साथ ही अब तक के कामों पर संतोष व्यक्त किया गया। बैठक में डॉ मोहम्मद उमर, डॉ मोहम्मद अनीस सिद्दीकी, डॉ मोहम्मद शाकिर, डॉ सिराज अहमद, डॉ शहज़ाद आलम, डॉ शादाब अनवर, डॉ दिलशाद अख्तर समेत कई डॉक्टर मौजूद रहे