लखनऊ: बहुचर्चित गोरखपुर मेडिकल कालेज मौतकाण्ड अब आरटीआई के चक्रव्यूह में फँस गया
है। इस आरटीआई के दायर होने के बाद अब यह निश्चित हो गया है कि सरकार या
अधिकारी कितना भी जुगत कर लें पर देर सबेर इस मामले का सच सबके सामने आ ही
जायेगा।यूपी की राजधानी लखनऊ के राजाजीपुरम में रहने वाले इंजीनियर और
समाजसेवी संजय शर्मा ने आज यूपी के मुख्य सचिव के अनु सचिव पी.के.पांडेय को एक
आरटीआई आवेदन भेजकर गोरखपुर हादसे के संबंध में 9 बिंदुओं पर सूचना मांग ली है।

आरटीआई एक्सपर्ट और कंसलटेंट संजय शर्मा बताते हैं कि इस मामले में राज्य
सरकार,गोरखपुर प्रशासन और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के परस्पर विरोधाभासी बयानों
और एक्शनों से यह साफ हो गया है कि इस मामले में पूरी की पूरी दाल काली है
अर्थात राज्य सरकार,गोरखपुर प्रशासन और कॉलेज प्रबंधन की आपस में मिलीभगत है
और इसीलिए इस मामले का पूरा सच संसार के सामने लाने के लिए ही उन्होंने ये
आरटीआई दायर की है।

संजय सबाल उठाते हैं कि जब सरकार ऑक्सीजन की कमी को मौतों के लिए जिम्मेदार
नहीं मान रही है तो प्रिंसिपल पर कार्यवाही क्यों की गई है,बाहर से ऑक्सीजन
सिलिंडर क्यों मंगाए गए,बिना पोस्टमॉर्टम कैसे जान लिया गया कि मौतें ऑक्सीजन
की कमी से नहीं हुईं,आखिर क्यों सरकार ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी पर
कार्यवाही की बात कर रही है और आखिर क्यों प्रधानाचार्य ने इस्तीफा दिया और
डॉ. कफील को दंडित करने की बात की जा रही है?

आरटीआई एक्टिविस्ट संजय बताते हैं कि उन्होंने इस वित्तीय वर्ष में बदले गए
ऑक्सीजन सप्लायर, उनके द्वारा दी गई ऑक्सीजन के रेट,उनको किये गए
भुगतान,मजिस्ट्रेटी जांच की रिपोर्ट,मुख्य सचिव की हाई पॉवर जांच कमेटी की
रिपोर्ट,इस अगस्त में अब तक मरने वाले लोगों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट,इस अगस्त
में अब तक बाहर से मंगाए गए सिलिंडर और दोषी पाई गई कंपनियों पर की गई
कार्यवाहियों की सूचना मांगी है।

PIL एक्टिविस्ट संजय शर्मा ने बताया कि सूचना मिलने के बाद वे इस मामले को
उच्च न्यायालय लेकर जाएंगे।