पुस्तक मेला: किताबों में समाया नया पुराना साहित्य संसार
लखनऊ: ‘न कभी प्रेमचंद, निराला, महादेवी का जमाना खत्म होगा और न ‘मधुशाला’, ‘गुनाहों का देवता’, ‘राग दरबारी’ व ‘टोपी शुकुल’ जैसे काव्य व कथा साहित्य को भूल पाएंगे। नये की बीच पुराना साहित्य हरदम अपना अलग आयाम पेश करेगा। यह निष्कर्ष उन साहित्यप्रेमियों को देखकर निकाला जा सकता है जो यहां मोतीमहल वाटिका लाॅन राणा प्रताप मार्ग में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले में आ रहे हैं। पुस्तक मेले में पुस्तकें न्यूनतम 10 प्रतिशत छूट पर मिल रही है।
मेले में ज्ञानपीठ के स्टाल पर वाणी बसु का लिपिका साहा द्वारा अनुवादित उपन्यास ‘मैत्रेय जातक’ और संतोष चैबे के उपन्यास ‘जलतरंग’ के साथ ही नया ज्ञानोदय के ताजा अंक को साहित्यप्रेमी अपनी निगाहों में परख रहे हैं। बिहार हिन्दी ग्रंथ अकादमी के स्टाल में भारतीय साहित्य कोश, भारतीय आलोचना शास्त्र व हिन्दी व्याकरण का इतिहास जैसी अनेक विषयों की किताबें हैं। वाणी प्रकाशन में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त यतीन्द्र मिश्र की ‘लता सुर गाथा’, व नदीम हसनैन की ‘दूसरा लखनऊ’ के साथ ही नई पुस्तकों में रामजी तिवारी की ‘लद्दाख में कोई रैंचो नहीं रहता’, राकेश तिवारी की ‘फसक’, रवीन्द्र वर्मा की ‘एक डूबते जहाज की अंतर्कथा’ और नागभूषण पटनायक की ‘क्रान्ति की राह में’ जरूर टटोली जा रही है। राजपाल एण्ड संस में नई किताबों में ‘रीबूटिंग इण्डिया’ के साथ ही साहित्य में लापता हो गये रचनाकार स्वदेश दीपक का कथा संग्रह ‘बगूगोशे’ लोगों को आकर्षित कर रहा है। प्रभात प्रकाशन लोकप्रिय कहानियां शृंखला में वृंदावन लाल वर्मा, श्रीलाल शुक्ल, सच्चिदानंद जोशी, डा. विद्याविंदु सिंह, मीरा सीकरी, बलराम आदि का कथा साहित्य लाया है तो केके पब्लिकेशन ने हास्य व्यंग्य सरताज सीरीज में डा.सूर्यकुमार पाण्डे, जेमिनी हरयाणवी, सरोजनी प्रीतम, डा.सुरेश अवस्थी, राजेन्द्र पटोरिया आदि के 10 खण्ड लेकर आया है। संयोजक देवराज अरोड़ा ने बताया कि इसके अतिरिक्त, राजकमल, लोकभारती, किताबघर, साहित्य भण्डार, अमन प्रकाशन, राजस्थान पत्रिका, परिमल प्रकाशन व प्रकाशन विभाग के स्टालों पर साहित्य और अन्य विषयों की नई पुस्तकें खूब हैं।
अगीत परिषद द्वारा रंगनाथ मिश्र के संयोजन में शुरू हुई काव्यगोष्ठी से आज सांस्कृतिक मंच सुबह से ही गूंजता रहा। शीला पाण्डेय के निबंध संग्रह ‘समय के घेरे’ पर चली चर्चा में हरिमोहन बाजपेयी ने कहा कि इसके महिलाओं से जुड़े आयामों पर लिखे निबंध प्रभावी हैं। प्रो.त्रिभुवननाथ शुक्ल ने कहा कि ये निबंध अपने समय से संवाद करते लगते हैं। स्वयं लेखिका ने कहा कि उनकी कोशिष समाज की परतों के भीतर के सत्य को रखने की रही है। अंत में आभार पद्मकांत शर्मा ने व्यक्त किया। इसी क्रम में डा.अमिता दुबे की पुस्तक ‘अभिव्यक्ति के इन्द्रधनुष’ और काव्य संग्रह ‘ऐसा मन करता है’ का लोकार्पण कौशलेन्द्र पाण्डेय, डा.योगेश प्रवीन, डा.वंदना श्रीवास्तव, अलका प्रमोद आदि अनेक रचनाकारों की उपस्थिति में हुआ। दोनों ही पुस्तकों की विद्वानों से सारगर्भित समीक्षा की। विनय वाजपेयी के कविता संग्रह ‘निकलेगा जयहिन्द’ के लोकापर्ण में डा.विद्याविंदु सिंह, डा.सूर्यप्रसाद दीक्षित, डा.महेशचन्द्र द्विवेदी आदि ने विचार रखे। इसी क्रम में उदय सेनापति की पुस्तक ‘फिल्म मेकिंग’ का भी विमोचन हुआ। समापन सुन्दरम संस्था के काव्य समारोह से हुआ।