नई दिल्ली: गाय का शुद्ध देशी घी बनाने और बेचने का दावा करने वाले योग गुरु स्‍वामी रामदेव आयुर्वेद से जुड़ी भारतीयों की भावनाओं को ‘दुह’ कर अपनी संस्‍था पतंजलि आयुर्वेद के लिए खासा मुनाफा बटोर रहे । रामदेव अपने कारोबार को ‘स्‍वदेशी’ बताकर चलाते हैं, जिसके पीछे यह विचार है कि पतंजलि के सभी उत्‍पाद स्‍वदेशी हैं और प्राचीन भारतीय पद्धतियों से बनाये जाते हैं। आर्थिक मामलों की पत्रकार, प्रियंका पाठक-नारायण ने अपनी किताब ‘Godman to Tycoon: the Untold Story of Baba Ramdev’ में बताया है कि इन दावों की हकीकत कुछ अलग है। किताब में उन्‍होंने पतंजलि के पूर्व सीईओ एसके पात्रा से हुई बातचीत साझा की है, जिसमें वह कहते हैं रामदेव का प्रसिद्ध ‘गाय घी’ असल में गाय का घी है ही नहीं। इस किताब का यह अंश कारवां मैगजीन ने अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया है।

पतंजलि जो घी ‘गाय’ का बताकर बेचती है, पात्रा के मुताबिक वह गाय का घी है ही नहीं। यह असल में सफेद मक्‍खन से बनता है जो कि कई जानवरों के दूध से बनता है, सिर्फ गाय के नहीं। इसके लिए देश के विभिन्‍न हिस्‍सों से छोटे-बड़े उत्‍पादकों से दूध लिया जाता है। कर्नाटक को-ऑपरेटिव दुग्‍ध उत्‍पादक फेडरेशन का ब्रांड नंदिनी, पंतजलि का सफेद मक्‍खन का सबसे बड़ा सप्‍लायर बताया जाता है। यह संस्‍था राज्‍य के 22,000 गांवों के 23 लाख उत्‍पादकों से दूध संग्रह करती है, मगर इस आधार पर नहीं कि वह गाय का है या भैंस का, या फिर बकरी का।