नई दिल्ली: जल्‍द सभी तरह की रियल एस्‍टेट डील के लिए भी आधार नंबर का उपयोग जरूरी हो जाएगा. नरेंद्र मोदी सरकार फ्लैट, मकान या जमीन की खरीद के पंजीकरण जैसे- सेल एग्रीमेंट और पॉवर ऑफ अटॉर्नी के दौरान आधार नंबर का उपयोग बाध्‍यकारी बनाने पर विचार कर रही है. इससे रियल एस्‍टेट डील और बेनामी ट्रांजैक्‍शन में कालेधन के उपयोग पर काफी हद तक लगाम लग सकती है.

सरकार प्रॉपर्टी के इलेक्‍ट्रॉनिक रजिस्‍ट्रेशन पर भी विचार कर रही है. इसके लिए आधार बेस्‍ड ऑथेंटिकेशन और भी जरूरी हो जाएगा. इस केंद्रीय कानून में बदलाव के लिए सरकार को रजिस्‍ट्रेशन एक्‍ट-1908 की धारा 32 और 32ए में संशोधन करना होगा.

जमीन संबंधी डील में आधार के उपयोग से धोखाधड़ी की आशंका काफी कम हो जाएगी. इससे सम्‍पत्ति की बेनामी खरीद-बिक्री कम करना भी संभव होगा. इन सबके अलावा, बायर्स को फुलप्रूफ प्रॉपर्टी टाइटल मिलना भी संभव होगा.

भू-संसाधन यानी जमीन से जुड़ी चीजें ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत आती हैं. मंत्रालय ने राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों को जमीन-जायदाद से जुड़े डाक्‍यूमेंट्स के रजिस्‍ट्रेशन के समय लोगों की सहमति से आधार बेस्‍ड ऑ‍थेंटिकेशन करने की सलाह दी है. इसके लिए राज्‍यों को चीजें नोटिफाई करने के लिए भी कहा गया है.

नोटबंदी के बाद सरकार ने रियल एस्‍टेट सेक्‍टर में कालेधन और बेनामी लेनदेन को रोकने के लिए कई तरह के उपाय किए थे. पिछले साल ही सरकार ने बेनामी ट्रांजैक्‍शंस प्रोहिबिशन एमेंडेड एक्‍ट-2016 बनाया था. इसके तहत संबंधित विभाग को बेनामी प्रॉपर्टी को पहले तात्‍कालिक रूप से और फिर पूरी तरह से जब्‍त करने का अधिकार दिया था. दोषी व्‍यक्ति को कम से कम एक साल की सजा का भी प्रावधान है, जिसे बढ़ाकर 7 साल किया जा सकता है.