गाय की खरीद फरोख्त पर लगी रोक हटी
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की विवादित अधिसूचना पर लगाईं रोक
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के उस विवादित अधिसूचना पर रोक लगा दिया है जिसमें गाय सहित अन्य वंशजों के खरीद-बिक्री पर रोक लगा दिया गया है. अब केंद्र सरकार अगले तीन महीने में नया नियम लेकर आएगी.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मांस बिक्री के लिए गाय और उनके वंशजों की खरीद और बिक्री पर रोक के लिए नियमों में बदलाव की प्रक्रिया चल रही है. केंद्र सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में बैकफुट पर दिखी. केंद्र सरकार ने कहा कि वह मद्रास हाईकोर्ट के द्वारा जारी रोक में किसी तरह का बदलाव नहीं करेगी.
गौरतलब हो कि मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के इस विवादित नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने आज स्पष्ट किया कि यह रोक पूरे देश में जारी रहेगा न कि सिर्फ तमिलनाडु में.
केंद्र सरकार ने इशारा दिया कि जारी किए गए नए नियम के नोटिफिकेशन को लागू नहीं करवाएगी. इस विवादित नोटिफिकेशन में केंद्र सरकार ने गाय और उनके वंशजों की बिक्री और खरीद पर सीधे तौर पर रोक लगा दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका कर्ता से कहा कि सरकार द्वारा अगले तीन महीने बाद जारी होने वाले नए नोटिफिकेशन को देखें और अगर नए नियमों से कोई परेशानी हो तो दोबारा याचिका दायर कर सकते हैं.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने पशु बाजार में वध के लिए मवेशियों को खरीदने और बचने पर रोक लगाने वाली अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था.
हैदराबाद निवासी याचिकाकर्ता ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी और कहा था कि केंद्र का नोटिफिकेशन ‘भेदभाव पूर्ण और असंवैधानिक’ है क्योंकि यह मवेशी व्यापारियों के अधिकारों का हनन करता है. याचिकाकर्ता मोहम्मद फहीम कुरैशी ने पशु क्रूरता रोकथाम (जब्त पशुओं की देखभाल तथा इलाज) कानून, 2017 को भी चुनौती दी है.
पेशे से वकील फहीम कुरैशी ने दलील दी है कि पशु क्रूरता रोकथाम (मवेशी बाजार विनियमन) कानून, 2017 तथा पशु क्रूरता रोकथाम (जब्त पशुओं की देखभाल तथा इलाज) कानून, 2017 मनमाना, अवैध तथा असंवैधानिक है.
याचिकाकर्ता ने 23 मई को जारी दोनों अधिसूचनाओं के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी है. फहीम कुरैशी ने उस नियम पर सवाल उठाया है, जिसमें कम उम्र के मवेशियों को तब तक बाजार में नहीं बेचा जा सकता, जबतक कि खरीदार एक हलफनामा भरे, जिसमें वह बताए कि वह एक किसान है, मवेशी का केवल कृषि उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होगा और उसे छह महीनों तक नहीं बेचा जाएगा.
बता दें कि केंद्र सरकार के इस नोटिफिकेशन का केरल समेत देश के कई राज्यों में विरोध किया गया है. केरल में तो विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में हिस्सा लेने से पहले विधायकों ने नाश्ते में गोमांस का सेवन कर विरोध जताया था.