नई दिल्ली : 1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में शुक्रवार को विशेष टाडा कोर्ट में गैंगस्टर अबू सलेम सहित सात आरोपियों पर फैसला सुनाया दिया है। कोर्ट ने अबू सलेम समेत 6 आरोपियों को दोषी करार दिया है। जबकि एक आरोपी अब्दुल काय्यूम को बरी कर दिया है। कोर्ट ने एक-एक करके आरोपियों पर फैसला सुनाया। अबू सलेम के अलावा मुस्तफा डोसा, फिरोज अब्दुल रशीद खान, ताहिर मर्चेंट, करीमुल्ला खान व रियाज सिददीकी को भी दोषी करार दिया गया है। सलेम को भरूच से मुंबई हथियार लाने का दोषी पाया गया है। मुस्तफा डोसा को हत्या, साजिश और आतंकी गतिविधियों का दोषी पाया गया है। फिरोज अब्दुल रशीद खान को साजिश रचने और हत्या का दोषी पाया गया है। ताहिर मर्चेंट का धमाके की साजिश में शामिल रहने का दोषी पाया गया है। टाडा कोर्ट का मानना है कि मुस्तफा डोसा, अबू सलेम, ताहिर मर्चेंट और फिरोज खान मुख्य साजिशकर्ता थे। कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 19 जून तय की है।

सात आरोपियों में सलेम, मुस्तफा डोसा, करीमुल्ला खान, फिरोज अब्दुल रशीद खान, रियाज सिददीकी, ताहिर मर्चेंट तथा अब्दुल कायूम शामिल थे। इन सातों को 2003 से 2010 के बीच गिरफ्तार किया गया था और इनपर आपराधिक साजिश रचने, सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने और हत्या के आरोप लगे थे। इस मामले में यह दूसरे चरण की सुनवाई है। इससे पहले साल 2007 में सुनवाई के पहले चरण में टाडा अदालत ने इस मामले में सौ आरोपियों को दोषी ठहराया था जबकि 23 लोग बरी हुए थे। इन सात आरोपियों की सुनवाई मुख्य मामले से अलग कर दी गई थी क्योंकि उन्हें मुख्य सुनवाई खत्म होने के वक्त गिरफ्तार किया गया था।

हालांकि यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि अबू सलेम को फांसी की सजा दी भी जाती है तो उसे फांसी नहीं लगाई जाएगी। दरअसल पुतर्गाल से प्रत्यार्पण संधि के दौरान यह शर्त रखी गई थी कि अबू सलेम को फांसी नहीं दी जा सकती, वर्तमान 9 केस से अलग कोई केस नहीं चलाया जाएगा, 25 साल से ज्यादा की सजा नहीं दी जाएगी और किसी अन्य देश को नहीं सौंपा जाएगा।