नई दिल्ली: किसानों को कर दायरे में लाने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध करते हुए केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा के वरिष्ठ सांसद वीरेन्द्र सिंह ने कहा कि ऐसे सुझाव वही लोग दे सकते हैं जिनका खेती से दूर दूर तक कोई लेना नहीं देना नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार की सारी प्राथमिकता यही है कि किसानों की आय किस प्रकार अधिक से अधिक हो। नीति आयोग के सदस्य विवेक देबरॉय के कृषि आय पर कर लगाने के सुझाव का कड़ा विरोध करते हुए सिंह ने कहा कि गर्मी, धूप, सर्दी तथा बरसात में किस तरह किसान अपनी खेती की रक्षा करता है, इस बात को केवल वही समझ सकता है जो कृषि क्षेत्र से जुड़ा हो। जिनका खेती से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है वही किसानों की आय पर कर लगाने का सुझाव दे सकते हैं। सिंह ने कहा कि किसान भी देश के अन्य नागरिकों की तरह चाहता है कि वह भी कार में चले। उसके बच्चे भी बडे स्कूलों में पढ़ें। पर यह सब तभी होगा जब किसान की आय बढ़े। सरकार की प्राथमिकता पहले किसान की आय बढ़ाने की है। कर लगाकर आप एक तरह से कृषि को हतोत्साहित ही करेंगे।

उल्लेखनीय है कि देबराय का यह सुझाव आने के बाद स्वयं वित्त मंत्री अरूण जेटली को यह सफाई देनी पड़ी कि कृषि आय पर कर लगाने की सरकार की कोई योजना नहीं है। बाद में नीति आयोग ने भी देबराय के इस सुझाव को उनकी निजी राय बताते हुए इससे अपना पल्ला झाड़ लिया था। उनसे जब पूछा गया कि कुछ बड़े लोग कृषि आय की आड़ में कर अपवंचना करते हैं और इसका दुरच्च्पयोग करते हैं तो उन्होंने कहा, ‘‘यह काम प्रदेश सरकार के अधिकारियों और प्रशासन का है कि वे ऐसे लोगों को पकड़ें न कि इसकी आड़ में किसानों को समृद्धि की ओर बढ़ने से रोका जाये।’’ सांसद ने कहा, ‘‘कृषि हमारे देश की जीवनधारा है। यह कोई व्यवसाय नहीं है बल्कि इससे समानता, सरोकार और संस्कार बनते हैं। किसानों की समृद्धि हमारा लक्ष्य है और हमारी सरकार की पूरी कोशिश है कि हम जल्द से जल्द इस लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर हों।’’