मुद्दों पर संघर्ष के लिए तैयार रहें – शिवपाल
सपा नेता ने सगीर की ‘संस्मृतियाँ’ का विमोचन किया
लखनऊ: वरिष्ठ समाजवादी नेता शिवपाल सिंह यादव ने वयोवृद्ध समाजवादी विचारक सगीर अहमद के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केन्द्रित स्मारिका “संस्मृतियाँ“ का विमोचन “समाजवादी आन्दोलन के आठ दशक“ विषय पर आयोजित परिचर्चा के दौरान किया। शिवपाल के शिविर कार्यालय पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता पूर्व काबीना मंत्री एवं विधान परिषद सदस्य अशोक बाजपेयी तथा संचालन समाजवादी चिन्तक दीपक मिश्र ने की।
शिवपाल सिंह यादव ने इस अवसर पर कहा कि समाजवादियों ने लोहिया-जयप्रकाश की विरासत को काफी त्याग और सतत् संघर्ष से बचाया है। समाजवादी आन्दोलन और विचारधारा को जितना नुकसान बाहरी शत्रुओं ने पहुँचाया उससे अधिक हानि आंतरिक शत्रुओं के कारण हुई। सभी समाजवादियों के एक मंच पर आने का समय आ चुका है। लोहिया की विचारधारा से ही देश का समावेशी विकास सम्भव है। नई पीढ़ी को विचारों से लैस कर आन्दोलन की तैयारी करनी होगी। सगीर अहमद जैसे पुराने और प्रतिबद्ध समाजवादियों के फिर से सक्रिय होने से समाजवादी आन्दोलन को नई ऊर्जा मिलेगी। श्री यादव ने कहा कि “संस्मृतियाँ“ में समाजवादी आन्दोलन के आठ दशक का लेखा-जोखा संकलित है, इससे नई पीढ़ी को काफी कुछ जानने, समझने और सीखने का अवसर मिलेगा। अब मुद्दों एवं जनता के सवालों पर निर्णायक संघर्ष का अवसर आ चुका है। उन्होंने कहा कि राजनीति अवमूल्यन एवं संकुचन को रोकना हमारा दायित्व है। आपसी और स्वार्थजनित लड़ाइयों से भी समाजवादी आन्दोलन की पर्याप्त क्षति हो चुकी है। सगीर अहमद ने लोहिया, जेपी, चन्द्रशेखर व कैप्टन अब्बास अली के संस्करणों को सुनाते हुए कहा कि देश की पंथनिरपेक्षता को जिन तत्वों व ताकतों से खतरा है वे दिन-ब-दिन ताकतवर होती जा रही है। ऐसे हमारा दायित्व और बढ़ जाता है।
डा० अशोक बाजपेयी समाजवादी साहित्य के प्रकाशन व वितरण के साथ-साथ प्रशिक्षण-चिन्तन शिविर लगाने की बात कही। दीपक मिश्र ने नई पीढ़ी को भटकाव से रोकने के लिए बहस चलाने पर जोर दिया और कहा कि इस दौर अधिकांश युवा राजनीति गांधी, लोहिया, अम्बेडकर, दीन दयाल की बजाय टाटा, बिड़ला, अंबानी को अपना आदर्श मानने लगे हैं। सियासत वैचारिक प्रतिबद्धता के अभाव में विश्वसनीयता के संकट से गुजर रही है।
परिचर्चा में वरिष्ठ समाजवादी नेता राजनाथ शर्मा, युवा नेता पाटेश्वरी, सेवानिवृत्त न्यायधीश बी.डी. नकवी, उमानाथ यादव, अशोक शुक्ल, अश्वनी शर्मा, शिवकुमार राय, दंत चिकित्सक डा० सुनील, देवी प्रसाद समेत कई बुद्धिजीवियों एवं समाजवादियों ने विचार व्यक्त किए।