सुप्रीम कोर्ट में 49 मिनट तक चली ज़ोरदार बहस

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस कर्णन के साथ 49 मिनट बहसनई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार हाईकोर्ट के जज के साथ 49 मिनट बहस. CJI ने जस्टिस कर्णन के जवाबों पर यहां तक कह दिया कि अगर वह मानसिक रूप से बीमार हैं तो कोर्ट में मेडिकल सर्टिफिकेट दाखिल करें. जज होने के बावजूद आपको कानूनी प्रक्रिया नहीं पता. हमने आपको जमानती वारंट जारी किए आरोपी के तौर पर नहीं बल्कि आपका पक्ष जानने के लिए नोटिस किया गया, लेकिन आप कोर्ट नहीं आए. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने जस्टिस करनन को कहा कि चार हफ्तों में हलफनामे के जरिए दो सवालों के जवाब दें, क्या वे 20 जजों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सही मानने को तैयार हैं या वे शिकायत वापस लेने और कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगने को तैयार हैं. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस करनन के न्यायिक और प्रशासनिक कामों पर लगी रोक को हटाने से इनकार किया है.

जस्टिस कर्णन ने कोर्ट में कहा कि अगर मेरा काम फिर से नहीं दिया गया तो वे कोर्ट में हाजिर नहीं होंगे. चाहे कोई भी सजा दो भुगतने को तैयार हैं. वे जेल जाने को भी तैयार हैं. कोर्ट ने उनके खिलाफ अंसवैधानिक फैसला लिया है. वे कोई आतंकवादी या असामाजिक तत्व नहीं हैं. उन्होंने जजों के खिलाफ शिकायत की वे कानून के दायरे में हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनका काम छीन लिया जिससे मेरा मानसिक संतुलन गड़बड़ा गया. अगर मेरा काम वापस दिया जाएगा तो मैं जवाब दूंगा. कोर्ट के इस कदम की वजह से मेरा सामाजिक बहिष्कार हो गया है. यहां तक कि मेरा प्रतिष्ठा भी चली गई है.

उल्लेखनीय है कि कोलकाता हाइकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन आज सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की वजह से जस्टिस करनन के ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती वारंटी जारी कर दिया गया था. हालांकि जस्टिस करनन ने वारंट को मानने से इनकार कर दिया. जस्टिस करनन ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. साथ ही CBI को जांच के आदेश भी दिए थे. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने इसे अदालत की अवमानना बताया, जिसके बाद सात जजों की खंडपीठ ने जस्टिस करनन के ख़िलाफ़ कोर्ट के आदेश की अवमानना की कार्रवाई शुरू की.