दिवाली की तैयारियां शुरू होते ही, पशु संरक्षण संगठन, ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल/इंडिया, ने नागरिकों से अपनी दीवाली इस तरह मनाने का आग्रह किया है जिसमें अनियंत्रित शोर न हो और जिससे हमारे पशु-पक्षियों का जीवन सुरक्षित बना रहे, और हम अपना त्यौहार इस तरह मनाए जिससे मनुष्य और पशु-पक्षी सभी खुशहाल रहें।

वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ने के कारण हर साल हजारों जानवर और पक्षी भयभीत होते, घायल होते और मर जाते हैं। सुनने की क्षमता के मामले मेंं जानवर हमसे कहीं अधिक संवेदनशील होते हैं, इसलिए पटाखों से पैदा होने वाले शोर का उन पर भयानक प्रभाव पड़ता है और जिससे उनकी सुनने की क्षमता प्रभावित होती है और यह शोर उनके लिए बहुत ज्यादा तनाव का कारण बनता है। जैसे कि आतिशबाजी से 190 डेसिबल तक की आवाजें निकल सकती हैं, जबकि 110 डेसिबल की आवाजों से ही मनुष्यों की सुनने की क्षमता को नुकसान होना शुरू हो जाता है। जानवरों, विशेषकर कुत्तों और पक्षियों में सुनने की संवेदनशीलता हमारी तुलना में काफी अधिक होती है, इसलिए इन ध्वनियों की तीव्रता उनके लिए बहुत ज्यादा परेशानी का कारण बन सकती और पक्षियों में मृत्यु का कारण तक बन सकती है।

दिवाली के आसपास, पशु आश्रयों में अक्सर अपना रास्ता भटक जाने वाले और अपने मालिकों के घर से कहीं ओर चले जाने वाले पालतू जानवरों के मामलों में बढ़ोत्तरी होती है। इनमें से कई जानवर भयभीत, परेशान और अक्सर जले हुए पाए जाते हैं। कुत्ते, चाहे वे गली के कुत्ते हों या पालतू हों, अक्सर चलते ट्रैफिक वाली सड़कों पर असहाय रूप से इधर-उधर भागते हुए देखे जाते हैं, अक्सर उन्हें अपने रहने की सामान्य जगह से कहीं और चले जाने के खतरे का सामना करना पड़ता है।

केरेन नाज़रेथ, वरिष्ठ निदेशक, कम्पेनियन एनिमल्स एंड एंगेजमेंट, ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल/इंडिया ने कहा: “आइए हम सुनिश्चित करें कि हम अपने त्यौहारों की खुशी में अपने प्यारे पशु-पक्षियों का जीवन बरबाद न करें। हम सभी से आग्रह करते हैं कि रोशनी का यह त्योहार उसी हँशी-खुशी के साथ मनाएं जैसे इसे मनाया जाना चाहिए — यानी प्रियजनों के साथ मधुर-मिलन, दीयों को जलाकर, रोशनी करके, मिठाइयों और स्वादिष्ट व्यंजनों का आनन्द लेकर न कि कानफोड़ू पटाखों के बेतहाशा शोर के साथ।” जो लोग यह सोच रहे हैं कि दीवाली के अवसर पर हम अपने प्यारे जानवरों की खुशियों को किस तरह बनाए रखें उनके लिए एचएसआई/भारत ने कुछ ‘ठोस’ सलाह दी हैं।

गलियों में रहने वाले जानवरों के लिए:

  • बहुत तेज आवाज वाले पटाखे न फोड़ें।
  • यदि आपको अपने आस-पड़ोस के लोगों द्वारा पाले जाने वाले सामुदायिक कुत्तों और बिल्लियों की बेहतरी चाहते हैं तो सुनिश्चित करें कि वे अपने मालिकों के नाम और आपके फ़ोन नंबर के लेबल वाले टैग पहने हुए हों।
  • किसी पशु आश्रय या चिड़ियाघर के पास पटाखे न फोड़ें। शोर करने वाला कोई भी पटाखा जानवरों में दहशत और भय पैदा कर सकता है।
  • अपने दोस्तों, परिवार और अपने समाज को त्यौहार मनाने के लिए ऐसी आतिशबाजी का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करें जिससे कम से कम शोर होता हो, ताकि जानवरों में आतिशबाजी के कारण तनाव पैदा होने की संभावन कम से कम रहे।
  • दिवाली शुरू होने से पहले, अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर उनमें जागरूकता पैदा करें कि अनियंत्रित आतिशबाजी का पशु-पक्षियों पर कितना घातक प्रभाव पड़ता है।
  • जानवरों को ऐसे क्षेत्र में बनाए रखे, जहां वे पटाखों से और उनके शोर से सुरक्षित बने रह सकें।
  • दूसरों लोगो को भी जानवरों की मदद करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से दिवाली के दौरान गलियों में रहने वाले जानवरों की सुरक्षा के महत्व के बारे में सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करें।
  • घायल जानवरों की मदद करने के लिए प्राथमिक चिकित्सा किट तैयार करें। आपातकालीन स्थिति के लिए और इस्तेमाल किए गए जले हुए पटाखों को बुझाने के लिए, पानी से भरी बाल्टी अपने पास तैयार रखें।

पालतू जानवरों के लिए:

  • अपने पालतू जानवरों को घर के अंदर किसी ऐसे कमरे में रखें जहां वे अक्सर रहते हों। फर्नीचर के नीचे या शांत कोने जैसी, छिपने की बहुत सारी जगहों की व्यवस्था बनाए रखें। पालतू जानवरों में सुनने की क्षमता बढ़ जाती है, इसलिए धमाकों और तेज आवाज को सुनकर कई जानवर सुरक्षित जगह खोजने के लिए इधर-उधर भाग जाते हैं। सुनिश्चित करें कि आपके पालतू जानवर आपनी वर्तमान संपर्क जानकारी वाले कॉलर और पहचान टैग पहने हुए हों।
  • पटाखों को रखने का स्थान पालतू जानवरों की पहुँच से दूर होना चाहिए और आतिशबाजी के मौसम के बाद, इस्तेमाल की गई आतिशबाजी का अगली सुबह सुरक्षित तरीके से निपटान करें।
  • शोर को कम करने के लिए सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें और पर्दे लगाए रखें।
  • पालतू जानवरों के लिए उत्सव शुरू होने से पहले घर के अंदर ही खाने की अच्छी चीजें, खिलौनों या मधुर संगीत की व्यवस्था करके उनका ध्यान बाहर से हटाने की कोशिश करें ताकि वे घर के अंदर ही बने रहें।
  • त्यौहार के दौरान आतिशबाजी शुरू होने से पहले अपने कुत्तों को दिन के समय टहलाने के लिए ले जाएं। उन्हें कभी भी ऐसी जगहों के पास न ले जाएँ जहाँ दूसरे लोग पटाखे फोड़ रहे हों।
  • आपातकालीन स्थिति में, समय से पहले यह पता लगा लें कि दिवाली के दौरान पशु चिकित्सक उपलब्ध रहेंगे या नहीं।
  • यदि आपके पालतू जानवर को तेज आवाज से घबराहट या परेशानी हो रही है, तो पशु चिकित्सक से सलाह लें। चिंता-रोधी या शांत करने वाली दवाएं, केवल पशु चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ही दी जानी चाहिए।
  • स्थानीय नगर निगमों और आसपास के आश्रयों की संपर्क जानकारी लेकर रखें और कोई खोया हुआ पालतू जानवर मिलने पर तुरंत उनसे संपर्क करें। अगर आपको खोए हुए पालतू जानवर मिलते हैं, तो या तो उन्हें टैग पर दिए पते पर पहुँचाएं या किसी स्थानीय पशु आश्रय स्थल पर ले जाएं।