मदरसा फंडिंग पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भाजपा को अपने नज़रिए में सुधार लाना चाहिए- शाहनवाज़ आलम
पटना
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों के मदरसों की फंडिंग बंद करने के फैसले पर रोक लगाने का स्वागत करते हुए इसे भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडे पर करारा तमाचा बताया है। उन्होंने इससे भाजपा को सबक लेते हुए भविष्य में ऐसी हरकत करने से बाज आने की भी नसीहत दी है।
शाहनवाज़ आलम ने जारी बयान में कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और उसके आरएसएस कार्यकर्ता चेयरमैन प्रियांक क़ानूनगो को अब मुस्लिम विरोधी एजेंडा छोड़कर वो काम करना चाहिए जो इस आयोग का वास्तविक काम है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मदरसा आयोग को असंवैधानिक घोषित करने की कोशिश की थी जिसपर सुप्रीम कोर्ट से उसे झटका लगा था। उन्होंने आयोग द्वारा ‘आस्था के संरक्षक या अधिकारों के विरोधी: बच्चों के संवैधानिक अधिकार बनाम मदरसे’ नाम से जारी रिपोर्ट को आरएसएस की मुस्लिम विरोधी एजेंडा को बढ़ाने वाली रिपोर्ट बताया जिसके आधार पर उसने मदरसों की फंडिंग रोकने का सुझाव केंद्र और राज्य सरकारों को दिया था।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आयोग के चेयरमैन प्रियांक कानूनगो को देश और न्यायपालिका को गुमराह करने के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि केंद्र की मोदी और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार मान्यता प्राप्त मदरसों और मदरसा आधुनिककरण योजना से जुड़े शिक्षकों को 2015 से ही वेतन नहीं दे रही है। जिससे हज़ारों मदरसा शिक्षकों के सामने अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया है। अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद मदरसों को बन्द करने की साज़िश रचने के बजाए शिक्षकों का बकाया वेतन देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आरएसएस और भाजपा संविधान के अनुछेद 30 के तहत अल्पसंख्यकों को मिले शैक्षणिक संस्थान बनाने के अधिकार को छीनना चाहती है। इसी उद्देश्य से भाजपा सरकारें मदरसों के खिलाफ़ माहौल बनाने में लगी हैं। उनकी इस साज़िश के निशाने पर अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा भी है। उन्होंने कहा कि आज के इस फैसले से यह उम्मीद जगी है कि एएमयू के मुद्दे पर भी भाजपा को सुप्रीम कोर्ट में झटका लगेगा। लेकिन इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि मदरसों पर दिया गया यह फैसला संघ के वृहद एजेंडे पर खुलकर काम कर रहे मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की रणनीति हो और 10 नवम्बर को अपनी रिटायरमेंट से पहले एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा छीन कर आरएसएस को खुश करके उचित इनाम पाने की कोशिश करें। इसलिए समाज और विपक्ष को इसपर बहुत चौकन्ना रहना होगा।