लखनऊ
एससी-एसटी के उप वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले के संबंध में लखनऊ के गांधी भवन में प्रदेश के सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और संगठनों की ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट द्वारा आयोजित बैठक हुई। बैठक में यह माना गया कि दरअसल 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति के उप वर्गीकरण का निर्णय अपनी अंतर्वस्तु में डॉक्टर अंबेडकर के विचारों के विरुद्ध है। डॉ अंबेडकर अनुसूचित जाति को एक इकाई के रूप में इसलिए स्वीकार करते थे ताकि समाज के बड़े हिस्से को सामाजिक बदलाव में एक राजनीतिक ताकत के बतौर खड़ा किया जाए और उनके नागरिक अधिकारों की रक्षा हो सके। यह कहना कि डॉक्टर अंबेडकर अनुसूचित जाति के अंदर वर्गीकरण की परिघटना को नहीं समझते थे, गलत होगा। डॉक्टर अंबेडकर का यह मानना था कि सामाजिक श्रेणीबद्ध असमानता अनुसूचित जाति में भी है फिर भी उन्होंने कभी भी जातीय उप वर्गीकरण का समर्थन नहीं किया। डॉक्टर अंबेडकर ने सामाजिक अधिकार और आर्थिक सशक्तिकरण को एक साथ देखा था। इसलिए उनका यह मानना था कि अनुसूचित जातियों के अंदर जो असमानता मौजूद है उसे उनके शैक्षिक व आर्थिक सशक्तिकरण पर विशेष जोर देकर खत्म किया जा सकता है।

बैठक में चिंता व्यक्त की गई कि बगैर संसद में चर्चा किये भाजपा सरकार ने हरियाणा में अनुसूचित जाति के उप वर्गीकरण का जो फैसला किया है, वह सही नहीं है। खेद के साथ यह भी नोट किया कि तेलंगाना की सरकार ने भी वहां दिसंबर तक नौकरी में भर्ती पर रोक लगा दी है ताकि वह भी एससी में वर्गीकरण करके सरकारी नौकरी को दे।

बैठक में यह माना गया कि उप वर्गीकरण पर कांग्रेस की भूमिका भी सही नहीं है और उसको अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। साथ ही अदानी से तेलंगाना सरकार द्वारा वजीफे के लिए 100 करोड रुपए लेना भी नस्लवादी भाजपा के विरुद्ध चल रही लड़ाई को कमजोर करेगा।

बैठक में मायावती और अन्य समूहों व दलित चिंतकों से यह अपील भी की गई कि उनकी कोई ऐसी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए जिससे दलित और आदिवासी समूहों के बीच में राजनीतिक बिखराव को बढ़ावा मिले। बैठक में प्रस्ताव रखा गया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चर्चा और व्यापक विचार विमर्श आगामी शीतकालीन सत्र में होनी चाहिए और संभव हो तो इस सवाल पर संसद का विशेष सत्र भी बुलाया जाना चाहिए। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों से अपील की गई कि वह केंद्र सरकार को मजबूर करें कि अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए हुए इस फैसले पर संसद में बहस कराने के लिए सरकार पर दबाव बनाए।

डाक्टर अम्बेडकर: एससी-एसटी उपवर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला विषय पर सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ताओं, दलित संगठनों, बुद्धिजीवियों का राष्ट्रीय सम्मेलन 8 दिसंबर 2024 को दिल्ली में एआईपीएफ और अन्य संगठनों के साथ मिलकर आयोजित किया जा रहा है। जिसे प्रख्यात शिक्षाविद् और यूजीसी के पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर सुखदेव थोराट भी संबोधित करेंगे। बैठक में इसकी तैयारी के लिए प्रदेशस्तरीय टीम का गठन किया गया और पूरे प्रदेश में अभियान चलाने का निर्णय हुआ।

बैठक में गोरखपुर में अंबेडकर जन मोर्चा के संयोजक श्रवण कुमार निराला की हाल ही में हुई गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की गई और सरकार से मांग की गई कि उन्हें अति शीघ्र रिहा किया जाए। बैठक में गांधीवादी प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ता राजीव हेम केशव के निधन पर शोक प्रस्ताव लिया गया। बैठक की अध्यक्षता ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी ने और संचालन बैठक के आयोजक व प्रदेश अध्यक्ष एआईपीएफ डॉक्टर बी. आर. गौतम ने किया। बैठक में एआईपीएफ के संस्थापक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

बैठक को रेलवे में एससी-एसटी फेडरेशन के नेता नरेंद्र नाथ, पूर्व डिप्टी एसपी बी. एस. सरोज, दलित चिंतक अशोक कुमार, प्रदेश महासचिव एआईपीएफ डॉक्टर बृज बिहारी, अर्जक संघ के लोकनाथ पटेल, राधेश्याम कनौजिया, डॉक्टर मोहम्मद हबीब, डॉक्टर मोहम्मद साहब, डॉक्टर शादाब खान, गौतम गोविंद, पूर्व सभासद अमित सोनकर, गणेश प्रसाद, डॉक्टर राघवेंद्र कुमार पाल, डॉक्टर सत्या दोहरे, नौमीलाल आदि ने संबोधित किया।