अपने ऊपर फेंके गए पत्थरों को जमाकर उनसे एक समारक बनायें, रतन टाटा ने अपने जीवन में कही गयी इस बात को जिया भी है. बचपन में माता-पिता का तलाक हुआ. दादी ने परवरिश की. प्यार तो कई बार हुआ पर वो परवान न चढ़ा. 28 दिसंबर 1937 को बॉम्बे (मुंंबई) में नवल और सूनू टाटा के घर उनका जन्म हुआ. 10 साल की उम्र में माता-पिता अलग हो गए. तलाक के बाद पिता ने स्विस महिला सिमोन दुनोयर से शादी की और मां ने सर जमसेतजी जीजीभॉय के साथ घर बसा लिया, लेकिन रतन की परवरिश की उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने, जिनसे वो बहुत प्यार करते थे.

शुरुआती पढ़ाई बॉम्बे के कैंपियन स्कूल से हुई. कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल और शिमला के बिशप कॉटन स्कूल पहुंचे. हायर स्टडी के लिए अमेरिका पहुंचे और कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर में ग्रेजुएशन किया. साल 1975 में उन्होंने ब्रिटेन के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम किया.

7 साल अमेरिका में रहे. पढ़ाई के बाद लॉस एंजिलिस में नौकरी की. यहीं प्यार भी हुआ. इसका किस्सा खुद उन्होंने साझा किया था. रतन टाटा का कहना था कि जब वो अमेरिका में थे उनकी शादी हो गई गई होती लेकिन दादी ने उन्हें फोन करके बुलाया और उसी दौर में भारत-चीन की 1962 जंग शुरू हुई. मैं भारत में रह गया और उसकी वहां शादी हो गई. पर्वतारोही बछेंद्री पाल के साथ भी उनका नाम आया, इसके अलावा बॉलीवुड अदकारा सिमी ग्रेवाल से भी उनकी नज़दीकियों की काफी चर्चा रही. रतन टाटा ने दुनिया की सभी चीज़े हासिल कर लीं लेकिन अपने प्यार को हासिल न कर सके.