लखनऊ
मजलिस-ए-उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना सैय्यद कल्बे जवाद नक़वी ने यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम (USCIRF) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अगर अमेरिकी संस्थाओं पर भरोसा करते हुए हिज़्बुल्लाह और उसके नेता सैय्यद हसन नसरुल्लाह को आतंकवादी कहा जा रहा है तो भारत ने अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट को खारिज क्यों किया? इसका मतलब ये है कि भारत की नज़र में अमेरिकी संस्थानों की रिपोर्टे विश्वसनीय नहीं हैं। इसी तरह अमेरिका और इजराइल का हिज़्बुल्लाह और उसके नेता सैय्यद हसन नसरुल्लाह के बारे में जो नज़रिया है वो भरोसे के क़ाबिल नहीं है क्योकि ये देश खुद आतंकवाद के संस्थापक हैं और दुनिया को धोखा देने के लिए मज़लूमों को आतंकवादी कहते हैं।

मौलाना ने अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अमेरिकी संस्था ने अपनी रिपोर्ट में भारत में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों का ज़िक्र करते हुए भारत को उन देशों में शामिल करने की सिफारिश की है, जहां अल्पसंख्यकों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। अमेरिकी आयोग ने अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के मामले में भारत को पाकिस्तान के समान श्रेणी में रखा है जो निंदनीय है। रिपोर्ट में कहा गया है कि किस तरह साल 2024 के दौरान गोरक्षकों की भीड़ ने अल्पसंख्यकों की हत्या की, उन्हें मारा पीटा गया और पक्षपात दिखाते हुए उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। उनके घरों और इबादतगाहों को बुलडोजर से ध्वस्त किया गया। रिपोर्ट में इन घटनाओं को धार्मिक स्वतंत्रता का गंभीर उल्लंघन बताया गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकारी अधिकारियों द्वारा गलत सूचना और भड़काऊ भाषण के आधार पर अल्पसंख्यकों, उनके घरों और इबादतगाहों पर हमले के लिए उकसाया गया। मौलाना ने कहा कि अगर भारत का मीडिया और लोग अमेरिकी संस्थानों की ऐसी रिपोर्टो को सच मानते हैं तो भारत की स्थिति वाकई बेहद चिंताजनक है। क्योंकि ग़ाज़ा युद्ध के बाद हमने लगातार देखा है कि हमारा मीडिया अमेरिका और इजराइल की रिपोर्ट के आधार पर हिज़्बुल्लाह और उसके नेता सैय्यद हसन नसरुल्लाह को आतंकवादी कहता आ रहा है। इस्माइल हानिया की हत्या के बाद मीडिया ने उन्हें भी आतंकवादी कहा। यदि अमेरिकी संस्थाओं की रिपोर्टे विश्वसनीय है तो भारत ने अल्पसंख्यकों के बारे में प्रकाशित अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट को क्यों खारिज कर दिया? इसका मतलब ये है कि अमेरिकी और इजरायली संस्थाएं अपने हितों के लिए रिपोर्टे प्रकाशित करती हैं, ठीक उसी तरह हिज़्बुल्लाह, इस्माइल हानिया और सैय्यद हसन नसरुल्लाह के बारे में उन्होंने अपने हितों के लिए प्रोपेगैंडा किया ताकि दुनिया उनसे नफरत करने लगे। मौलाना ने कहा कि अमेरिकी और इजराइली संगठन और संस्थाएं लगातार झूठ बोल रहे हैं, इसलिए उनके कहने पर किसी को आतंकवादी न कहा जाये। अगर उनकी रिपोर्ट पर विश्वास किया जाए तो न जाने उन्होंने हिंदुस्तान के बारे में क्या क्या कहा है।

मौलाना ने कहा कि हम अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट की एक अल्पसंख्यक संगठन के प्रतिनिधि के रूप में रद करते हैं। हम सरकार से अपील करते हैं कि हमारा मीडिया भी अमेरिका और इजराइल के दबाव में आए बिना इस्माइल हानिया, हसन नसरुल्लाह और हिज़्बुल्लाह को आतंकवादी कहना बंद करे। और जो पुलिस शहीद हसन नसरुल्लाह की शोक सभा से घरों और इमामबाड़ों के अंदर भी रोक रही है उसे इस हरकत पर सरकार कड़ी चेतावनी दे।