लखनऊ
बलरामपुर गार्डन में चल रहे इक्कीसवें राष्ट्रीय पुस्तक मेले में आज वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित महिला अधिकारों की प्रखर प्रवक्ता नाइश हसन की पुस्तक ‘मुताह : एक शोध-परक अध्ययन’ के लोकार्पण के साथ ही इस पुस्तक पर वरिष्ठ पत्रकार सुभाष राय की अध्यक्षता में परिचर्चा चली। परिचर्चा में प्रो. नलिन रंजन सिंह, लेखिका सबाहत आफरीन, समीना खान व तस्वीर जहरा नकवी इत्यादि ने विचार व्यक्त किये। लेखिका नाइश ने कुछ सच्चे प्रसंगों के हवाले से अपनी बात रखी और एक अन्य अध्येता ऋचा नागर के काम का भी जिक्र किया। अध्यक्षीय वक्तव्य में सुभाष राय ने वक्ताओं की इस बात का समर्थन किया कि ऐसे मुद्दों को महिलाओं के दृष्टिकोण से देखने की जरूरत है। बुराई किसी भी पंथ या सम्प्रदाय से जुड़ी हों, उन्हें खत्म करने की ज़रूरत है।

पुस्तक मेले को आज आठवां दिन था। पुस्तक मेलों का लम्बा अनुभव रखने वाले स्टाल धारक अभिनव छाबड़ा बताते हैं कि आज का युवा पुराने क्लासिकल साहित्य की जगह नये लेखकों का ऐसा नया लिटरेचर पसंद कर रहा है जो फंतासी हों या जिन किताबों से प्रेरित होकर फिल्में वेब सीरीज वगैरह बन रही हैं। यूं नया साहित्य लगभग हर स्टाल पर उपलब्ध है। सामयिक प्रकाशन के स्टाल पर भरत प्रसाद का हाल में प्रकाशित उपन्यास काकुलम युवाओं को भा रहा है। यहां साहित्य अकादमी सम्मान प्राप्त उषाकिरन खान का अंतिम उपन्यास कथा रजोखर का पेपर बैक संस्करण बिक रहा है। कथा संग्रह लाल डोरा और किन्नर के लेखक महेंद्र भीष्म किताब खरीदने वालों को किताब पर हस्ताक्षर कर के दे रहे हैं। सस्ता साहित्य भण्डार के स्टाल पर हिन्दी साहित्य की किताबें वाजिब दाम में छूट के साथ उपलब्ध हैं।

मेला मंच के आयोजनों में आज विश्व साहित्य सेवा ट्रस्ट, निखिल प्रकाशन व माधवी फाउण्डेशन की ओर से साहित्य में प्रकृति बोध एवं पर्यावरण विषय पर संगोष्ठी का आयोजन मोहन मुरारी शर्मा के संयोजन में किया गया। इस अवसर पर डा.नीतू‌ शर्मा की पुस्तक हिन्दी की महनीय विभूतियां का लोकार्पण हुआ। यहां डा. नीतू के साथ ही नंदकिशोर, योगाचार्य दीप्तिभूषण, वीके मिश्र, सुरभि शुक्ला, रघुवर आनन्द, डा. बीडी सिंह, शिवमोहन, अनीता अरोड़ा आदि विद्वानों व रचनाकारों को सम्मानित किया गया।

राजकमल प्रकाशन के आयोजन में शिवानी राकेश की किताबा सिनेमा को पढ़ते हुए का विमोचन हुआ। मनोज पाण्डेय के संचालन में इस पुस्तक पर हुयी चर्चा में लेखिका के साथ ही कथाकार शिवमूर्ति, राकेश कबीर आदि ने अपना पक्ष रखा।