उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनावों की तारीखों के ऐलान होने में अब कुछ ही समय बाकी है। इस बीच चुनाव आयोग ने सूबे के जिन दस जिलों की 10 सीटों पर उपचुनाव होना है, वहां तीन साल पूरा कर चुके पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को हटाए जाने की कार्रवाई शुरू करने के लिए प्रदेश सरकार को कदम उठाने को कहा है।

बताया जा रहा है कि आयोग के इस निर्देश के दायरे में तीन से अधिक प्रशासनिक और सौ से अधिक पुलिस अफसर आ रहे हैं। यह सभी जिले में तीन वर्षो से तैनात हैं, जल्दी ही उन्हे अन्य जिले में तैनात कर उसकी सूचना आयोग को भेजी जाएगी। वहीं दूसरी तरफ इन सभी 10 सीटों पर तमाम दलों के उम्मीदवारों ने भी ताल ठोकनी शुरु कर दी है। समाजवादी पार्टी (सपा) से लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तमाम नेता अपने परिवार के सदस्यों को चुनाव मैदान में उतारने की कवायद में जुट गए हैं।

प्रदेश सरकार के उच्चाधिकारियों के अनुसार, यूपी में 10 विधानसभा सीटों करहल (मैनपुरी), सीसामऊ (कानपुर), मिल्कीपुर (अयोध्या), कटेहरी (अंबेडकरनगर), कुंदरकी (मुरादाबाद), खैर (अलीगढ़), गाजियाबाद, फूलपुर (प्रयागराज), मझवा (मिर्जापुर) और मीरापुर (मुजफ्फरनगर) पर उपचुनाव होने हैं. सीसामऊ सीट सपा विधायक इरफान सोलंकी को सजा होने से रिक्त हुई है जबकि 9 विधायक, लोकसभा सदस्य बन चुके हैं। अगले दस दिनों में यूपी की दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराए जाने की तारीख घोषित होने के आसार हैं।

इसी के मद्दे नजर राजनीतिक दलों और चुनाव आयोग में सक्रियता बढ़ गई। चुनाव आयोग के अधिकारी चुनाव कराए जाने की तैयारियों की समीक्षा करने में जुटे हैं। चुनाव की तारीखों का ऐलान होती ही राज्य उक्त जिलों में चुनाव आचार संहिता का पालन कराया जाने लगेगा। इसके मद्देनजर चुनाव आयोग ने निर्देश दिए हैं कि इन जिलों में चुनाव से जुड़े जिन अफसरों को तीन साल पूरे हो चुके हैं, उन्हें स्थानांतरित कर दिया जाए।

पिछले चार साल में जिनके तीन साल का कार्यकाल इनमें से किसी भी जिले में रहा है, उन्हें भी हटाया जाएगा। गृह जिले में भी किसी की तैनाती नहीं रहेगी। साथ ही जिनकी सेवानिवृत्ति में छह माह या उससे कम समय बचा है, उन्हें भी अन्यत्र स्थानांतरित किया जाएगा।

फिलहाल आयोग के इन निर्देशों की परिधि में कोई आईएएस अफसर नहीं आ रहा है क्योंकि लोकसभा चुनाव में ऐसे सभी अफसरों को हटाया जा चुका है। कई एसडीएम तथा एडीएम और पुलिस के कई अफसर इस दायरे में जरूर आ रहे हैं उन सभी को जल्दी ही स्थानांतरित किया जाएगा। शासन स्तर पर इस संबंध में लिखा पढ़ी की जा रही है।

सूबे की जिन दस सीटों पर उपचुनाव होना है, उन पर अभी भाजपा ने अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान नहीं किया है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने जरूर पांच सीटों पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है, लेकिन उन्हें कोई गंभीरता से नहीं ले रही है। कहा जा रहा है सूबे की इन दस सीटों पर भाजपा और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों के बीच में ही चुनावी संघर्ष होना है।

यही वजह है कि अखिलेश यादव बहुत सोच समझ कर पार्टी के उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान कर रहे हैं। उन्होंने अभी अयोध्या के मिल्कीपुर सीट से पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद के पुत्र अमित प्रसाद को चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान किया है। इसके अलावा उन्होंने अन्य किसी सीट पर पार्टी के उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है।

बताया जा रहा है कि करहल विधानसभा सीट पर अखिलेश अपने चचेरे भाई और मैनपुरी से पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव उम्मीदवार बता सकते हैं। कटेहरी विधानसभा सीट से सपा सासंद लाल जी वर्मा की बेटी छाया वर्मा को चुनाव लड़ाया जा सकता है।

अखिलेश यादव कांग्रेस के लिए भी दो से तीन सीट छोड़ने पर विचार कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि जल्दी ही चुनाव लड़ने वाले उम्मीवारों का ऐलान सपा और कांग्रेस के नेता करेंगे। फिलहाल तो सपा, कांग्रेस और भाजपा के तमाम नेता अपने चहेतों को टिकट दिलवाने के लिए दौड़-भाग कर रहे हैं।