लखनऊ
उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस ने छात्र नेताओं उमर खालिद, मीरान हैदर, गुल्फिशा फ़ातिमा व अन्य को ज़मानत देने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने ही फैसलों और निर्देशों की अनदेखी किए जाने पर प्रदेश भर से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को ज्ञापन भेजा है.

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव और उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेजे गए ज्ञापन में उन्हें हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा यूएपीए, दिल्ली शराब नीति घोटाला समेत कई मामलों में ज़मानत देते हुए दिए गए निर्देशों की याद दिलाई गयी है जिसमें ख़ुद मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणियां भी शामिल हैं. ज्ञापन के माध्यम से मुख्य न्यायाधीश से सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल में की गयी 12 टिप्पणियों का संदर्भ देते हुए 14 सवाल पूछे गए हैं.

ज्ञापन में पूछा गया है कि जब ‘ज़मानत नियम और जेल अपवाद है’ का सिद्धांत अन्य आरोपियों पर लागू करते हुए उन्हें ज़मानत दे दी जाती है तो यही नियम उमर खालिद, मीरान हैदर और गुल्फिशा फ़ातिमा के मामले मैं लागू क्यों नहीं किया जा रहा है. ज्ञापन में यह भी पूछा गया है कि जब गवाहों की संख्या ज़्यादा होने के आधार पर दिल्ली शराब केस में आरोपियों को 5 महीने में ज़मानत दी जा सकती है तो उनसे सिर्फ़ 30 गवाह कम होने पर चार साल से जेल में बन्द उमर खालिद व अन्य को क्यों ज़मानत नहीं दी जा सकती.

शाहनवाज़ आलम ने बताया कि ज्ञापन में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि हम मुख्य न्यायाधीश से कोई मांग नहीं कर रहे हैं बल्कि सिर्फ़ यह जानना चाहते हैं कि जब क़ानून सभी को अपने समक्ष बराबर मानता है तो सुप्रीम कोर्ट अलग-अलग आरोपियों को किस सिद्धांत के तहत अलग-अलग नज़रिए से देख सकता है?

इसी तरह सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य फैसले में जमानत न देने को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताये जाने का हवाला देते हुए पूछा गया है कि यही सिद्धांत उमर खालिद व अन्य पर लागू नहीं किए जाने की क्या वजह है. इसीतरह जिला जजों के सम्मेलन में मुख्य न्यायाधीश की उस टिप्पणी को भी उद्धरित किया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि ट्रॉयल कोर्ट के जज ज़मानत देने में हिचकिचाते हैं. उनसे पूछा गया है कि उमर खालिद व अन्य के ज़मानत पर सुप्रीम कोर्ट क्यों हिचकिचा रहा है.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि निष्पक्ष न्यायालय लोकतंत्र की आत्मा है इसलिए न्यायपालिका की निष्पक्षता की रक्षा करने के लिए अल्पसंख्यक कांग्रेस जन जागरूकता अभियान चलायेगी.