कल शाम में रोजगार अधिकार अभियान के संबंध में बसंत कुंज में रह रहे अकबरनगर विस्थापितों के बीच में संवाद किया गया। संवाद में आमतौर पर लोगों का यह कहना था कि अकबरनगर से हुए विस्थापन के कारण उनके रोजगार पर गहरा असर पड़ा है वह बेरोजगार या अर्ध्द बेरोजगार की स्थिति में अपने जीवन को चला रहे हैं। उनके बच्चों की पढ़ाई छूट गई है और खाना खर्चा भी चला पाना बेहद मुश्किल हो गया है। हालांकि कुछ लोगों ने बसंतकुंज में ही चाय पानी, किराना, सब्जी, होटल, इलेक्ट्रिकल आदि की छोटी-मोटी दुकान भी कर ली है लेकिन उनसे आमदनी बहुत अच्छी नहीं है। अकबरनगर के रहने वाले मोहित यादव ने बताया कि वह लाइट डेकोरेशन का काम करते थे। उनका ज्यादातर काम सुल्तानपुर रोड पर था और ठीक-ठाक कमाई होती थी। अब उन्होंने एक झोपड़ी में अपनी दुकान खोली है पर उनके पास काम नहीं है। तीन बच्चे हैं जिसमें से हाई स्कूल में बेटा है 9 में और 6 में उनकी बेटियां हैं। जो उन्होंने अपनी कमाई से बचत की थी उसमें उन्होंने लाइट का सामान रखने का एक गोदाम बना लिया है। अकबरनगर में उनके दो मकान थे और एक गोदाम था अब उन्हें सिर्फ एक फ्लैट मिला है।

नौजवान महफूज ने बताया कि वह फैब्रिकेटेडर ग्रिल, गेट आदि बनाने का काम करते हैं। उन्हें एक फ्लैट मिला है और बड़ी मुश्किल से ₹400 की महीने में 20-22 दिन मजदूरी मिलती है। उनके तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं जिन्हें अभी वह पढ़ा रहे हैं। नौजवान जुल्फिकार हुसैन ने बताया कि अकबरनगर में इलेक्ट्रिशियन की दुकान थी, पुश्तैनी मकान था। उनके एक भाई और मां को फ्लैट मिला है पर उन्हें और उनके दूसरे भाई अनवर हुसैन को अभी फ्लैट नहीं मिला है। यहां उन्होंने पार्चून की दुकान खोली है और कॉलोनी में ही पंखा आदि लगाने का इलेक्ट्रिशियन का काम उनको कभी-कभी मिल जाता है। उनकी 8 साल की बच्ची मानसिक तौर पर बीमार है जिसका वह इलाज करा रहे हैं। उन्होंने समूह से ₹60000 अकबरनगर में मकान बनवाने के लिए लोन लिया था जिसका 45000 रुपए ब्याज का अभी भी बचा है। मोटरसाइकिल मैकेनिक मोहम्मद जैकी ने बताया कि उन्हें एक फ्लैट मिला है। जबकि उनके चार बेटे हैं जिसमें से एक शादीशुदा है ऐसे में छोटे से मकान में रह पाना उनके लिए बेहद कठिन है और यही कारण है कि उनकी बहू अभी ससुराल में रहती है। बेटा लेखराज मार्केट में प्रिंटिंग प्रेस में काम करता है आने-जाने में ही काफी किराया उसका खर्च हो जाता है।

बैठक में रोजगार, शिक्षा-स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के सवाल पर कहा गया कि सरकार चाहे तो आर्थिक नीतियों की दिशा बदलकर देश के हर नागरिक को इसकी गारंटी कर सकती है। उसे देश के उच्च धनिकों और कॉर्पोरेट घरानों पर की संपत्ति पर समुचित टैक्स और विरासत कर लगाना चाहिए। इससे 15 लाख करोड़ के आसपास वह अतिरिक्त आय पैदा कर सकती है और उसे पैसे को जनता के कल्याण के लिए खर्च कर सकती है। लेकिन इस दिशा पर सरकार मौन है। देश में करोड़ों सरकारी पद रिक्त पड़े हुए हैं लेकिन उन पर भर्ती नहीं चालू की जा रही। साथ ही साथ इस तरह के नौजवान जिनके अंदर स्किल है उनको बिना ब्याज का लोन देकर नए कारोबार को खड़ा किया जा सकता है। अकबरनगर से विस्थापित हुई महिलाओं के बीच में भी सामुदायिक उद्योग जैसे रोटी बनाने, अगरबत्ती, मोमबत्ती अचार बनाने आदि उद्योगों को सरकार को शुरू करना चाहिए ताकि उनकी जीविका का इंतजाम हो सके।

अकबरनगर आंदोलन की अगुवा रही सुमन पांडे ने बताया कि यहां कॉलोनी में हेल्थ सेंटर और आंगनबाड़ी केंद्र व राशन की दुकान संचालित होनी शुरू हो गई है जिसका लाभ लोगों को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि यहां के आवास काफी खराब क्वालिटी के बने हैं इस वजह से समस्याएं आती हैं। बैठक में मौजूद मीनू ने वहां हो रही पानी की समस्या पर बात रखते हुए कहा कि हर टावर में जितने फ्लोर के फ्लैट है उसमें सरकार ने नीचे एक टूल्लू दिया है जो चौथी मंजिल तक पानी पहुंचता है। अभी टूल्लू खराब हो जाने पर प्रशासन के लोग उसको बदल दे रहे हैं। पानी की समस्या दरअसल इसलिए हो रही है क्योंकि मेन पाइपलाइन 4 इंच की मोटी है और उससे सिर्फ आधा इंच का पाइप पानी चढ़ाने के लिए दिया गया है। जिसके कारण पाइपों में प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ जा रहा है और वह फट जा रहे हैं। इस संबंध में एलडीए के चीफ इंजीनियर से अकबरनगर के नेता इमरान राजा और स्थानीय निवासियों की बात हुई तो कल काफी टावरों में पानी की समस्या को दूर कर लिया गया था। कुछ टावरों में समस्या थी जिसे आज ठीक करने का आश्वासन प्रशासन ने दिया है।

अकबरनगर की विस्थापित आयशा ने बताया कि उनकी बेटी को फ्लैट नहीं मिला है। इस तरह के दर्जनों लोगों ने इस बात की कंप्लेंट प्रशासनिक अधिकारियों से की है। प्रशासनिक अधिकारियों का वार्ता में कहना है कि करीब डेढ़ हजार लोगों ने नया एप्लीकेशन फ्लैट पाने के लिए डाल दिया गया है जिसके कारण काफी दिक्कत हो गई है। बैठक में ही यह तय किया गया कि ऐसे लोग जिन्हें एक भी फ्लैट नहीं मिला है या ऐसे लोग जिनके परिवार के हिसाब से कम फ्लैट मिले हैं उनकी सूची तैयार करके प्रशासन को दी जाए। गौरतलब है कि पिछले दिनों वार्ता में एलडीए के सचिव ने कहा था और मंडलायुक्त महोदया से भी वार्ता में यह बात हुई थी यदि इस तरह की कोई सूची दी जाती है तो उसकी जांच कर कर जो छूटे हुए लोग हैं उनको फ्लैट आवंटित किया जाएगा। वहां के लोगों ने यह भी बताया कि 4 लाख 80 हजार रुपए लेने के संबंध में अभी कोई आदेश नहीं आया है। इसको माफ करने की कोशिश करनी चाहिए। इन्हीं सवालों पर आगामी दिशा तय करने के लिए आज लखनऊ बचाओ संघर्ष समिति की बैठक हो रही है। इस बात की भी सूचना वहां लोगों को दी गई और कहा गया कि जो लोग भी चाहे वह बैठक में आएं।