नोटबंदी: नोटों की छपाई पर खर्च की जांच करेगा CAG
नई दिल्ली: केंद्रीय बैंक को नोटबंदी के दौरान बड़ी संख्या में दो हज़ार और पांच सौ के नए नोट छापने पड़े. इससे बैंकिंग कामकाज भी प्रभावित हुआ. आखिर नोटबंदी के इस सिस्टम में देश की अर्थव्यवस्था पर कितना अतिरिक्त बोझ पड़ा, इसकी जानकारी जुटाने के लिए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने एक योजना तैयार की है.
कैग शशिकांत शर्मा ने कहा कि कैग नई वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत कर राजस्व का ऑडिट करने की तैयारी कर रहा है. इसके अलावा उसने क्षमता निर्माण और अपने ऑडिट के तरीके तथा प्रक्रियाओं का पुनर्गठन शुरू किया है.
विशेष ऑडिट के तहत कैग ने पहले ही कृषि फसल योजना तथा बाढ़ नियंत्रण एवं बाढ़ अनुमान का ऑडिट पूरा कर लिया है. अब वह शिक्षा के अधिकार, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, रक्षा पेंशन, गंगा पुनरोद्धार का ऑडिट कर रहा है. शशिकांत ने कहा कि इनकी ऑडिट रिपोर्ट चालू साल के अंत तक तैयार हो जाएंगी.
उन्होंने कहा कि कैग के पास सरकार के राजस्व और व्यय से किसी तरह का संबंध रखने वाले निकाय या प्राधिकरणों के ऑडिट का अधिकार है. कई शहर विकास निकायों, डिस्कॉम तथा मेट्रो निगमों का इसको लेकर विरोध खत्म हो जाएगा.
उन्होंने कहा कि उनकी योजना नोटबंदी के वित्तीय प्रभाव से संबंधित कुछ मुद्दों का ऑडिट करने की है. ख़ासतौर से इसके कर राजस्व पर पड़ने वाले असर को लेकर.
सरकार ने पिछले साल आठ नवंबर को 500 और 1,000 का नोट बंद करने की घोषणा की थी. इसके अलावा पुराने नोटों में बेहिसाबी धन रखने वालों के लिए कर माफी योजना भी शुरू की. कैग के ऑडिट में नोटों की छपाई पर खर्च, रिजर्व बैंक के लाभांश भुगतान तथा बैंकिंग लेनदेन आंकड़ों को शामिल किया जाएगा. इसके अलावा कैग ने सरकार को जीएसटी परिषद के शुरुआती मसौदे में धारा 65 को हटाने पर भी अपना रुख बता दिया है. इसके तहत कैग को जीएसटी के ऑडिट का अधिकार मिलता है.
शशिकांत शर्मा ने कहा कि उनके अधिकार के दायरे में पूर्व की किसी कराधान व्यवस्था की तरह जीएसटी भी आएगा. उन्होंने जीएसटी लागू होने के बाद इस चुनौती से निपटने को अपनी राजस्व ऑडिट व्यवस्था के पुनर्गठन पर काम शुरू कर दिया है.
उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के तहत क्षमता निर्माण, डाटा पहुंच एवं विश्लेषण, ऑडिट के तरीके और प्रक्रियाओं पर पुनर्गठन तथा एंड टु एंड सॉल्यूशंस का विकास शामिल है. उन्होंने कहा कि कैग के सशक्तीकरण में किसी तरह की खामी नहीं है, लेकिन समय के साथ कामकाज के संचालन मॉडल में बदलाव आया है.
कैग ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के दूरसंचार मामले में 2014 के फैसले से यह महत्वपूर्ण सिद्धान्त एक बार फिर पुष्ट हुआ है कि निजी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा जहां भी राजस्व सृजन के लिए सार्वजनिक संसाधनों का इस्तेमाल किया जाएगा, कैग की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह देखे कि सरकार को उस राजस्व में उसका समुचित हिस्सा मिल रहा है या नहीं.