विपक्षी दल उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पद से ‘हटाने’ के लिए उनके खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 67 के तहत प्रस्ताव लाने की खातिर नोटिस देने पर विचार कर रहे हैं। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि नोटिस के समय पर चर्चा की जानी है और निर्णय लिया जाना है। सूत्रों के अनुसार, यद्यपि प्रस्ताव पारित नहीं हो सकेगा, फिर भी यह अध्यक्ष के ‘‘स्पष्ट रूप से और लगातार पक्षपातपूर्ण’’ दृष्टिकोण को उजागर करने वाला एक बयान होगा। अनुच्छेद 67(बी) के तहत उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के सभी तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित और लोकसभा द्वारा सहमत एक प्रस्ताव के माध्यम से उनके कार्यालय से हटाया जा सकता है। हालांकि, इस खंड के प्रयोजन के लिए कोई भी प्रस्ताव तब तक पेश नहीं किया जाएगा।

जब तक कि प्रस्ताव पेश करने के इरादे से कम से कम 14 दिन का नोटिस न दिया गया हो। विपक्षी सूत्रों ने यह भी बताया कि इस नोटिस के लिए 87 सांसदों ने हस्ताक्षर भी कर दिए हैं। विपक्ष से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि दो दिन पहले, राज्यसभा में सदन के नेता जे पी नड्डा को अनौपचारिक रूप से सूचित किया गया था कि विपक्ष धनखड़ को हटाने के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत करने पर विचार कर रहा है।

सूत्र ने कहा कि विपक्षी दलों के लिए यह बात बहुत चिंताजनक है कि नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का माइक बार-बार बंद किया जाता है। सूत्र के अनुसार, विपक्ष चाहता है कि सदन नियमों और परंपरा के अनुसार चले और सदस्यों के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणियां अस्वीकार्य हैं। कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया’) के कई अन्य घटक दलों ने आरोप लगाया कि राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ का रवैया पक्षपातपूर्ण दिखाई देता है तथा हालत यह है कि नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को बोलने नहीं दिया जाता और उनका माइक बंद कर दिया जाता है।

इसे लेकर उच्च सदन में धनखड़ और ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगी दलों के बीच गतिरोध एक बार फिर बढ़ गया। धनखड़ के ‘अस्वीकार्य’ लहजे और अनादर के खिलाफ विपक्ष के विरोध जताने के बाद कांग्रेस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की और दावा किया कि सभापति विपक्ष को उच्च सदन में वह महत्व नहीं दे रहे हैं, जिसका वह हकदार है।

कांग्रेस नेता अजय माकन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘विपक्षी दलों को लगता है कि सभापति का दृष्टिकोण पक्षपातपूर्ण है। राज्यसभा एक ऐसा सदन है, जो अन्य विधायिकाओं के लिए मानदंड निर्धारित करता है। उस सदन में, सभापति को पक्षपातपूर्ण नहीं दिखना चाहिए। केवल कांग्रेस ही ऐसा महसूस नहीं करती है, बल्कि सभी विपक्षी दलों को लगता है कि सभापति का व्यवहार एक पक्ष को लेकर पक्षपातपूर्ण है।’’ उन्होंने कहा कि विपक्ष को उच्च सदन में वह महत्व नहीं मिल रहा है, जिसका वह हकदार है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर विपक्ष की आवाज राज्यसभा में नहीं गूंजती है, तो और कहां गूंजेगी।’’ राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता प्रमोद तिवारी ने दावा किया कि विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को बोलने की अनुमति नहीं है, उन्हें अक्सर बाधित किया जाता है और उनके माइक्रोफोन अक्सर बंद कर दिए जाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यह किसी एक पार्टी की बात नहीं है। दो-तीन दिन पहले घनश्याम तिवाड़ी ने नेता प्रतिपक्ष के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जो सही नहीं था और अपमानजनक एवं अस्वीकार्य था। हमने विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया था। हम इस पर फैसला जानना चाहते थे, फैसला नहीं आया है, यह लिखित में होना चाहिए।’’

एक सवाल के जवाब में माकन ने कहा, ‘‘वैसे सभी विकल्प खुले हैं, जो कानून-संगत और नियम पुस्तिका में उपलब्ध हैं। आचरण की प्रक्रिया के तहत कानून में जो भी प्रावधान हैं, हमारे लिए सभी विकल्प खुले हैं। जब लोकतंत्र की हत्या हो रही है, तो हम मूकदर्शक नहीं बने रह सकते।’’

राज्यसभा में शुक्रवार को समाजवादी पार्टी की सदस्य जया बच्चन द्वारा सभापति जगदीप धनखड़ के बोलने के लहजे पर आपत्ति जताए जाने के बाद आसन और विपक्ष के बीच टकराव देखने को मिला। जया बच्चन ने सभापति जगदीप धनखड़ के बोलने के लहजे पर आपत्ति जताई, जिसके बाद दोनों के बीच नोकझोंक हो गई और सभापति ने कहा कि उनके जैसी सेलिब्रिटी को भी शिष्टाचार का पालन करने की जरूरत है। सभापति ने विपक्षी सदस्यों को सदन की गरिमा बनाए रखने की नसीहत दी, वहीं विपक्षी सदस्यों ने अपनी बात रखने की अनुमति नहीं देने का आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन कर दिया।

बाद में संसद परिसर में पत्रकारों से बातचीत में जया बच्चन ने कहा कि वह सभापति के बोलने के लहजे से नाराज हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे जब अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए, तो उनका माइक बंद कर दिया गया और इससे भी वह (जया) नाराज हैं। सदन में विवाद तब शुरू हुआ, जब सपा सदस्य, कुछ दिन पहले भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी द्वारा खड़गे पर की गई कुछ टिप्पणियों को लेकर विपक्षी दलों और सभापति के बीच चल रही तीखी बहस पर अपनी बात रखना चाहती थीं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं कलाकार हूं, ‘भाव-भंगिमा’ समझती हूं, हावभाव समझती हूं… पर सर, मुझे माफ कीजिएगा। मगर आपका लहजा स्वीकार्य नहीं है। हम सहकर्मी हैं सर, आप ऊपर कुर्सी पर बैठे हो सकते हैं।’’ धनखड़ ने पलटवार करते हुए कहा, ‘‘जया जी, आपने बहुत नाम कमाया है। आप जानती हैं, एक अभिनेता निर्देशक के अधीन होता है।

आपने वह नहीं देखा, जो मैं यहां से देख रहा हूं। मुझे ‘स्कूलिंग’ नहीं चाहिए। मैं एक ऐसा व्यक्ति हूं, जिसने विशेष प्रयास किये हैं और आप मेरी टोन पर सवाल उठाती हैं… बस इतना ही काफी है।’’ नड्डा ने विपक्ष की आलोचना की और मांग की कि उन्हें धनखड़ से माफी मांगनी चाहिए।