● अस्ती गांव में लखनऊ बचाओ संघर्ष समिति की टीम ने किया दौरा
● ग्रामीणों को उजाड़ने के खिलाफ असहयोग आंदोलन की घोषणा
● सूखे नाले को नदी का स्रोत बता रहा प्रशासन

लखनऊ:
कुकरैल नदी के स्रोत अस्ती गांव के कुएं का आज लखनऊ बचाओ संघर्ष समिति की टीम ने निरीक्षण किया और यह पाया कि इस कुएं से कोई भी नदी नहीं निकल रही है। मौके की हालत यह है कि यह कुआं सूखा पड़ा हुआ है। इसके इर्द-गिर्द पक्की चार दिवारी है और इस चारदीवारी से नदी निकलने का कोई स्रोत मौके पर मौजूद नहीं है। इसलिए लखनऊ बचाओ संघर्ष समिति ने कहा कि दरअसल कॉरर्पोरेट घरानों की सेवा में लगी और रियल एस्टेट की एजेंट बनी योगी सरकार झूठ को सच और सच को झूठ बनाने में लगी है।

इस अवसर पर ग्रामीणों के सम्मेलन का भी आयोजन हुआ। इस सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि साबरमती रिवर फ्रंट बनाने वाली गुजरात की कंपनी को कुकरैल रिवर फ्रंट बनाने का ठेका सरकार द्वारा दिया जा रहा है। 1500 करोड़ के प्रोजेक्ट के लिए योगी सरकार जनता की तबाही करने पर आमादा है। अकबरनगर को मनमर्जी पूर्ण और गैर कानूनी ढंग से ध्वस्त कर दिया गया। सदन में मुख्यमंत्री खुद प्रदेश की जनता को गुमराह करते हुए कह रहे हैं कि अब कुकरैल नाला नहीं बल्कि नदी बह रही है। जबकि यह सच्चाई से कोसों दूर है। आज भी कुकरैल नाला ही मौजूद है जिसमें कई जगह से गंदे छोटे नाले और नालियां गिर रही है। आज तक उसकी सफाई करने का काम सरकार ने नहीं किया उल्टे इसके डूब क्षेत्र के नाम पर 500 मीटर दूर के अकबरनगर को बुलडोज कर दिया गया।

अबरार नगर, पंतनगर समेत तमाम बस्तियों के बारे में खुद मुख्यमंत्री ने कहा कि लाल निशान हटा दिए जाएंगे लेकिन आज तक यह न्यूनतम काम भी नहीं किया गया। इस सरकार की बुलडोज करने वाली नीतियों के खिलाफ सम्मेलन में ग्रामीणों ने फैसला लिया कि वह सरकार का असहयोग करेंगे और किसी भी तरह के कागजात को प्रशासन को नहीं दिखाएंगे। सम्मेलन में सीपीएम राज्य सचिव मंडल सदस्य मधु गर्ग, ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर, अकबरनगर के नेता इमरान राजा, किसान सभा के नेता प्रवीन सिंह, एडवा की वंदना राय, ट्रांस गोमती संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहम्मद सलीम, संयोजक राकेश मणि पांडे, आशुतोष पाठक राजेंद्र मौर्य आदि लोगों ने संबोधित किया।