लखनऊ: ऑल इण्डिया मोहम्मदी मिशन के तत्वाधान में चौक स्थित दरगाह हजऱत मख्दूम शाहमीना शाह से जुलूस-ए-मोहम्मदी बड़ी ही शानो शौकत के साथ निकाला गया जो मेडिकल चखैराहा होता हुआ ज्योतिबा फुले पार्क, चौक में जाकर जश्न-ए-मोहम्मदी में परिवर्तित हो गया। जुलूस-ए-मोहम्मदी बाद नमाज़-ए-जोहर काज़ी-ए-शहर मुफती अबुल इरफान मियाँ फिरंगी महली की कयादत और सैयद अयूब अशरफ राष्ट्रीय अध्यक्ष ऑल इण्डिया मोहम्म्दी मिशन की अध्यक्षता निकला। जुलूस-ए-मोहम्मदी में शहर की लगभग 170 से अधिक अन्जुमनों ने हिस्सा लिया जिसमें राजाजीपुरम् से बालागंज तक लगभग 77 अन्जुमनें, सदर से कैसरबाग तक 50 अन्जुमनें, डालीगंज से आगामीर डेवड़ी, चौक तक 25 अन्जुमनें तथा सीतापुर रोड से खदरा तक 18 अन्जुमनों ने हिस्सा लिया। 

जश्न-ए-मोहम्मदी की शुरूआत कारी गुलाम सुब्हानी अशरफी ने तिलावत-ए-र्कुआन-ए-पाक से की, नाते पाक का नजऱाना नासिर अली मीनाई, कारी शर्फुद्दीन और कारी जहॅागीर गोडवी ने पेश किया और मौलाना आज़म अली कादरी ने निज़ामत के फराएज़ को अन्जाम दिया। जश्न-ए-ईद मीलादुन्नबी को खिताब करते हुए काज़ी-ए-शहर मुफती अबुल इरफान मियाँ फिरंगी महली ने कहा कि अल्लाह रब्बुल इज़्जत ने सबसे पहले नूरे मोहम्मदी को पैदा किया और इसी नूर से पूरी कायनात की तख्लीक की इसीलिए सारी इन्सानियत के लिए आज 12 रबीअव्वल का दिन एहसान का है और एहसान का  शुकराना अदा करने के लिए आज हमे अल्लाह और उसके रसूल का जि़क्र बड़े इज़्जत व एहतराम के साथ दुरूद व सलाम का नजऱाना पेश करके अपनी गुलामी का सबुत देने लिए आज यहॉं मौजुद है ताकि हमें दुनिया व आखेरत की भलाई नसीब हो। यही वजह है कि हम ईदमीनादुन्नबी की महफिलों का एकनेकाद, लंगर व सबील को एहतमाम करते है ताकि गरीब व मोहताज की मदद के साथ ही साथ नेकी की दावत और बुराई से बचने और नबी के एखलाक को लोगो तक पहुचा सकें और जुलूस-ए-मोहम्मदी के ज़रियो भाईचारा, हुस्ने एखलाक, अमन व गंगा जमुनी तहसीब का बेमिसाल नमुना पेश कर सके। हमें इस बात का ख्याल रखना है कि हमारा यह अमल दुनियादारी व दिखावा तो नही है पैगम्बर इस्लाम ने फरमाया अररिया हो मिनल कुर्फे जो काम रियाकारी व दुनियादारी के लिए किया जाता है उसका सवाब कम बल्कि की व कुर्फ में शामिल हो जाता है। 

सैयद अयूब अशरफ ने कहा कि जुलूसए-मोहम्मदी निकालने का हमारा मकसद सिर्फ मोहम्मद-ए-अरबी का पैगाम को दुनिया में आम करना है ताकि समाज में फैली हुई बुराईयों पर नकेल कसी जा सके। देश में फैली आतंकवाद, भ्रष्टाचार, शराब व जुआ, बालत्कार और न जाने कितनी बुलाई फैल रही है इनसे हमारे देश की छवि दुनिया के नक्शे में खराब हो रही है। हमें इसको रोकने के लिए पैगम्बर-ए-इस्लाम मोहम्मद स0अ0 के बताए हुए रास्ते को आम करने की जरूरत है। इसी के साथ ही साथ दहशतगर्दी एवं सम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ अवाज़ उठाए और मुल्क की तरक्की में शासन/प्रशासन की मदद करें। श्री अशरफ ने आगे कहा कि विगत कई वर्षो से जुलूस-ए-मोहम्मदी के विस्तार के सम्बन्ध में ऑल इण्डिया मोहम्मदी मिशन बराबर संघर्ष व अन्दोलीत रहा है मगर जुलूस मोहम्मदी के समय हमें शासन/प्रशासन द्वारा मार्ग के विस्तार की अनुमति न देकर टालमटोल की नीति अपना रहा है हमारी भी धैर्य की सीमा निश्चित होनी चाहिए यदि 24 दिसम्बर 2015 तक हमें अनुमति प्रदान न की गयी तो हमारी यह विवश्ता होगी कि शासन को दिये गये प्ररूप के अनुसार हम किसी भी मार्ग पर अपना जुलूस निकालने के लिए बाध्य होगे। इसका सम्पूण उत्तरदायित्व प्रदेश के मुखिया एवं जिला प्रशासन का होगा। उन्होंने बताया की जुलूस-ए-मोहम्मदी में शानदार झण्डा बनाने के लिए अन्जुमन-ए-तहफुज़-ए-नामुसे-रसूल, मछली मोहाल, बेहतर मुज़ाहेरा के लिए दावत-ए-इस्लामी, निशातगंज, गुम्बदे खिजऱा की शाबीह यानि झॉकी के लिए फैजाने मुस्तफा, खदरा, शानदार जुलूस के लिए मदरसा अशरफिया बरकाते रज़ा, बालागंज और जुलूस-ए-मोहम्मदी में साल भर जददो जहेद के लिए ऑल इण्डिया मोहम्मदी मिशन, उदयगंज शाखा को अवार्ड दिया गया।

ऑल इण्डिया मोहम्मदी मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद अयूब अशरफ ने आए हुए मेहमानो का स्वागत पुष्प माला भेट कर किया और उनका आभार व्यक्त किया जश्न-ए-मोहम्मदी में माननीय राम असारे कुशवाहा, राजमंत्री उत्तर प्रदेश, डॉ0 सुरभि मिश्रा, राजमंत्री उत्तर प्रदेश, ब्रहमण संसद के अध्यक्ष अमर नाथ मिश्रा ी, लखनऊ मध्य के विधायक रविदास मेहरोत्रा व लखनऊ कैन्ट के विधायक डॉ0 रीताबहुगुणा जोशी , रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना चौहान, रालोद से अनील कुमार दुबे , अशोक बजपेई राष्ट्रीय महासचिव समाजवादी पार्टी आदि के साथ ही साथ ऑल इण्डिया मोहम्मदी मिशन के पदाधिकारी मुम्ताज़ खान, शाकिर अली मीनाई, सैयद मोहम्मद अहमद मियाँ किछौछवी, फैजान अतीक, सैयद अहमद नदीम, अब्दुल मन्नान मुशाहदी, कारी रौशन अली कादरी, मोहम्मद अली आरिफ नक्शबन्दी, सैयद जुनैद अशरफ,  मौलाना मुबारक हुसैन, मौलाना मुन्नवर हुसैन, सैयद मोहम्मद राशीद के साथ ही साथ आईमा-ए-मसाजिद व मोलमा-ए-एकराम आदि मौजूद थे।