अगर जीत का विश्‍वास है तो यह तामझाम क्‍यों

नई दिल्ली: शत्रुघ्‍न सिन्‍हा का पीएम मोदी के रोड शो पर ताना- जीत का विश्‍वास, जलेबी खाने वाले नेता हैं तो यह तामझाम क्‍योंप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वाराणसी रोड शो अब भाजपा सांसद शत्रुघ्‍न सिन्‍हा के निशाने पर हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वाराणसी रोड शो अब भाजपा सांसद शत्रुघ्‍न सिन्‍हा के निशाने पर हैं। उन्‍होंने रोड शो को तामझाम बताते हुए कहा कि यह एक तरह की हताशा को दिखाता है। उन्‍होंने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, ”ये किसी किस्‍म की डेस्‍परेशन का भी संकेत देता है। ये कैसा डेस्‍परेशन है? अगर आप कॉन्‍फिडेंट हैं, आपके पास स्‍टार कैंपेनर्स हैं, जलेबी खाने वाले लीडर्स हैं तो तामझाम का क्‍या मतलब है?” एक दिन पहले ही 4 मार्च को केंद्रीय मंत्री और एनडीए के सहयोगी दल आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने भी रोड शो पर निशाना साधा था।
उन्‍होंने कहा था कि यह केवल विधानसभा चुनाव है, पीएम को रोड शो नहीं करना चाहिए। कुशवाहा ने समाचार एजेंसी एएनआर्इ से कहा कि भाजपा यूपी में आगे चल रही है और मुझे लगता है कि पीएम को वाराणसी में रोड शो नहीं करना चाहिए। यह केवल विधानसभा चुनाव है।” गौरतलब है कि कुशवाहा पहले यूपी विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन बाद में मोदी से बैठक के बाद उन्‍होंने अपना फैसला वापस ले लिया। रालोसपा बिहार में प्रभाव रखती है और उसने भाजपा के साथ लोकसभा और बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा था। भाजपा ने मोदी के चार मार्च के रोड शो के बारे में कहा कि यह रोड शो नहीं था। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि वे तो काशी विश्‍वनाथ मंदिर दर्शन को जा रहे थे लोग उनसे जुड़ गए और एक सैलाब बन गया।
वहीं कांग्रेस ने इस रोड शो को आचार संहिता का उल्‍लंघन बताया था। उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा का सपा-कांग्रेस गठबंधन और मायावती नीत बसपा से कड़ा मुकाबला है और पार्टी को उम्मीद है कि राज्य के पूर्वी हिस्से अच्छा प्रदर्शन करके वह 403 सीटों वाले विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा हासिल कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान वाराणसी में रोडशो किया था जिस सीट से वह सांसद हैं। भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में जबर्दस्त जीत हासिल की थी और अपना दल के साथ भाजपा गठबंधन को 80 में से 73 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। तीन वर्ष बाद उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के लिए एक बार फिर भाजपा मोदी पर काफी हद तक निर्भर दिख रही है।