लखनऊ : एक अच्छी शिक्षा प्रणाली के जरिए हम प्रतिभाओं को को वैसे ही संभाल सकते हैं जैसे भूसे के ढेर से गेंहू के दानों को संवारा जाता है। हमें शोधकार्यां के क्षेत्र में विभिन्न आयुवर्ग के लोगों के शामिल होने के प्रति ज्यादा उदार और और स्वीकार्य होना पडेगा। आज इस बात की आवश्यकता है कि, हम प्राचीन भारतीय ज्ञान को वापस प्रतिष्ठित करने और उसे स्थापित करने में अपना योगदान दें। हमें इस बात को हमेंशा याद रखना चाहिए कि हमारी शिक्षा की व्यवस्था में भरतीय नागरिकों के गाढ़ी कमाई का धन लगा हुआ है जो कि करों के रुप में वो देते हैं।

यह कहना है जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, सेंटर फॅार वेस्ट एशियन स्टडीज के अध्यक्ष प्रोफेसर अश्विन के. महापात्रा का जो कि एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर के एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ एजूकेशन में ’नई शिक्षा नीति द्वारा शिक्षा प्रणाली में सुधार‘ विषय पर दो दिवसीय अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में बोल रहे थे।

उन्होंने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि, छात्रों को शिक्षा सिर्फ डिग्री पाने के लिए नहीं बल्कि ज्ञान और कौशल पाने के लिए ग्रहण करनी चाहिए। प्रोफेसर महापात्रा ने भारतीय उद्यमियों से निवेदन किया कि वो विदेशी विश्वविद्यालयों में निवेश करने के बजाय भारतीय शिक्षा को बेहतर करने की दिशा में अपना निवेश करें ।

इसके पूर्व सम्मेलन के दूसरे दिन आयोजित पैनल डिस्कशन सत्र में बोलते हुए कुरुक्षेत्र विवि की सेवानिवृत्त प्रोफेसर रीता चोपड़ा ने कहा कि, वर्तमान समय में हमारी शिक्षा व्यवस्था में प्राइमरी, सेकेंडरी और हायर एजूकेशन प्रणालियों के बीच कोई सामंजस्य दिखाई नहीं देता जबकि इस सामंजस्य का होना अत्यधिक आवश्यक है। यह कहा जाता है कि, शिक्षा नीतियों के निर्धारण में शिक्षकों की राय शामिल होती है इसलिए इस खामी के लिए शिक्षक भी बराबर के जिम्मेदार है।

चर्चा को आगे बढ़ाते हुए एससीइआरटी लखनऊ के संयुक्त निदेशक अजय कुमार सिंह ने कहा कि, जब हम शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की बात करते है ंतो समाज में बड़े बदलाव की बात इसमें अंर्तनिहित होती है। हमारी नई शिक्षा नीति में बदलावों की एक लम्बी फेहरिस्त है। जल्दी ही इसका प्रभाव दिखाई देना आरम्भ होगा। उन्होंने कहा कि, हमारे पास प्रदेश के बच्चों के लिये अर्ली चाइल्डहुड एजूकेशन की व्यवस्था नहीं है इस दिशा में अभी बहुत काम किए जाने की आवश्यकता है।

सम्मेलन में यूएई, नेपाल, भूटान सहित दिल्ली, आसाम, उडीसा, बिहार, हरियाणा, उत्तराखण्ड, गुजरात, महाराष्ट्र आदि जगहों से आए 120 से भी ज्यादा प्रतिभागियों ने शिरकत की।