इंडिया स्पेंड के सर्वे के अनुसार मतदाताओं के लिये वायु प्रदूषण बड़ा मुद्दा

लखनऊ।एक सर्वे के अनुसार उत्तर प्रदेश में मतदाता वायु प्रदूषण को लेकर चिंतित हैं। इंडिया स्पेंड द्वारा जारी किये गए एक सर्वे में यह तथ्य सामने आया है कि यूपी के 46 प्रतिशत शहरी मतदाता मानते हैं कि सांस लेनेवाली हवा भी प्रदूषित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया के सबसे प्रदूषित 25 शहरों में कानपुर, लखनऊ और इलाहाबाद जैसे यूपी के शहर भी शामिल हैं।

इसी साल जनवरी में आयी ग्रीनपीस की रिपोर्ट ‘एयरपोक्लिप्स’ के अनुसार 2015 में गाजियाबाद, बरेली, इलाहाबाद, कानपुर, आगरा, लखनऊ, वाराणसी और सोनभद्र में क्रमशः 258, 240, 250, 201, 186, 169, 145 और 132 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर रहा, जो सामान्य मानक (60 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर) से कई गुणा अधिक है।

ग्रीनपीस कैंपेनर सुनील दहिया कहते हैं, “कई रिपोर्टों से यह साबित हो चुका है कि वायु प्रदूषण से लोगों की जान जा रही है जो देश की जनता के स्वास्थ्य के लिये एक गंभीर खतरा है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसलिए यह सही मौका है जब उत्तर प्रदेश के सभी राजनीतिक दल जनता को स्वच्छ हवा देने का वायदा करे। साथ ही, अगली सरकार को चाहिए कि सत्ता में आते ही जनता को प्रदूषण मुक्त हवा देने की नीति भी बनाए। इसी तरह केन्द्र सरकार के लिये भी यह जरुरी है कि एक राष्ट्रीय और क्षेत्रीय कार्ययोजना बनाकर निर्धारित समय-सीमा में वायु प्रदूषण की समस्या का निदान करे”।

इंडिया स्पेंड के सर्व में यह भी बताया गया है कि उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाके में करीब 26 प्रतिशत मतदाता मानते हैं कि वे जहरीली हवा के संपंर्क में हैं। सर्वे में आये आंकड़े यह भी बताते हैं कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के क्रमशः 87 और 88 प्रतिशत मतदाता मानते हैं कि प्रदूषण कम करने के लिये वे सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर सकते हैं।

सुनील कहते हैं, “सरकार भी अक्षय ऊर्जा को लेकर महत्वाकांक्षी है। ऐसे में यह सही वक्त है जब हम वायु प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिये स्वच्छ ऊर्जा अपनायें और जिवाश्म ईंधन से तौबा करें।”

इस सर्वेक्षण का स्वागत करते हुए केयर 4 एयर उत्तर प्रदेश की मुख्य अभियानकर्ता एकता शेखर ने कहा, “ बिगड़ते पर्यावरण के दुष्प्रभाव अब आम जनता के बीच विमर्श का विषय बन रहे हैं। राजनीति का पर्यावरण के सवाल पर गंभीर होना बहुत जरूरी हो चुका है। समय रहते अगर सौर ऊर्जा, बेहतर कचरा प्रबंधन और सार्वजनिक परिवहन प्रणाली आदि को दुरुस्त किये जाने के पक्ष में निर्णय ना लिए गए तो आने वाला समय सरकारों के लिए कठिन साबित होगा।” हालांकि, एकता ने कहा कि आसन्न विधानसभा चुनावों के लिए जारी हुए सभी घोषणापत्रों में इन सवालों को प्रमुखता से स्थान दिया गया है, और इससे यह उम्मीद प्रबल होती है कि प्रदेश की अगली सरकार इन इन सभी मुद्दों पर अपनी जवाबदेही साबित करेगी।