कैसे मैं छोड़ दूं मां बाप की खिदमत निकहत, अपनी जन्नत को बेकार नही कर सकती
मखदूम शाह मेले के मुशायरे में मरहूम शायरों का सम्मान
फतेहपुर बाराबंकी नगर में चल रहे शेख हिसामुद्दीन मखदूम शाह चिश्ती रह की दरगाह पर लगने वाला मेला इन दिनों पूरे उरूज पर है बीती रात मेला कमेटी द्वारा अखिल भारतीय मुशायरा जिसकी सदारत पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर अम्मार रिजवी व कस्बा कुर्सी के चौधरी कोकब तालिब नजीब सदारत और संचालन नदीम फर्रुख ने किया।
इस मौके पर कस्बा फतेहपुर के शायर मरहूम डॉक्टर तौसीफ फतेहपुरी, मरहूम अब्दुल गफ्फार आज़ाद, अफसाना निगार हिफजुर्रहमान अब्बासी एवं मशहूर नाजिम फारुक राही सिद्दीकी को उर्दू अदब के क्षेत्र मे दिए गए योगदान के लिए सम्मानित किया गया। डॉक्टर तौसीफ के छोटे भाई सभासद खलीक अहमद ने पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश डॉक्टर अम्मार रिजवी के हाथों अवार्ड को ग्रहण किया।
मुशायरे की शुरुआत डॉक्टर नदीम शाद की नाते पाक से हुई. इनके बाद
“दूरियां अच्छी है लेकिन इस कदर नही,
आप हमसे बे खबर है यह खबर अच्छी नही।
हमीद भुसावली
“कैसे मैं छोड़ दूं मां बाप की खिदमत निकहत,
अपनी जन्नत को बेकार नही कर सकती।
निकहत अमरोही
“जब से इन आंखो मे अक्स तुम्हारा है,
रूह तुम्हारी है नाम हमारा है।
सबा बलरामपुरी
“इतना तरसाया है शादी की तमन्ना ने मुझे,
अब तो हर शख्स मुझे अपना ससुर लगता है।
सज्जाद झंझट
“यह काम कितने सलीके से कर गया कोई,
नजर के रास्ते दिल मे उतर गया कोई।
अनवर ईमान अकबराबादी
“अंधेरों की हर एक कोशिश यहां नाकाम हो जाए,
उजाले हर तरफ हो रोशनी का नाम हो जाए।
शबीना अदीब
ने अपने कलाम ने श्रोताओं की वाह वाही लूटी।
इसके अलावा चरण सिंह बसर और इमरान रिफअत ने भी अपना कलाम प्रस्तुत किया। इस मौके पर राष्ट्रीय सहारा के जिला संवाददाता प्रतिनिधि परवेज अहमद महमूदाबाद के उर्दू सहारा प्रतिनिधि इरफान मंसूरी सपा नेता हुमायूं नईम एडवोकेट डॉक्टर समर सिंह, नसीम नदवी, बसंत लाल यादव, नीरज शर्मा समेत अन्य गणमान्य नागरिक और हजारों संख्या में श्रोता मौजूद रहे।